आगरा में पीसीपीएनडीटी एक्ट बैठक, लिंग परीक्षण पर सख्ती
जिलाधिकारी की अध्यक्षता में पीसीपीएनडीटी एक्ट बैठक संपन्न, अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर सख्ती, लिंग परीक्षण करने वालों पर होगी कड़ी कार्यवाही।
आगरा: लिंग परीक्षण रोकथाम के लिए जिलाधिकारी की बड़ी बैठक, अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर सख्ती
एस. शेरवानी (ब्यूरो चीफ़) –
आगरा। (26 अगस्त 2025)
जिलाधिकारी अरविंद मल्लप्पा बंगारी की अध्यक्षता में मंगलवार को कलेक्ट्रेट सभागार में पीसीपीएनडीटी एक्ट 1994 (Pre-Conception and Pre-Natal Diagnostic Techniques Act, 1994) के अंतर्गत जिला सलाहकार समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक का मुख्य उद्देश्य लिंग परीक्षण जैसी गैरकानूनी गतिविधियों पर पूर्ण विराम लगाना और जनपद में संचालित अल्ट्रासाउंड केंद्रों की सख्त निगरानी सुनिश्चित करना रहा।
जिलाधिकारी ने बैठक में स्पष्ट शब्दों में कहा –
“लिंग परीक्षण करना अपराध की श्रेणी में आता है। किसी भी दशा में लिंग परीक्षण की अनुमति नहीं दी जाएगी और ऐसा करने वाले संस्थानों पर कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”
बैठक की प्रमुख बातें
1. पिछली बैठक की कार्यवाही पर चर्चा
बैठक की शुरुआत पिछली बैठक में लिए गए निर्णयों और उनकी प्रगति की समीक्षा से की गई। इसमें विशेष रूप से प्यारी बिटिया पोर्टल पर प्राप्त आवेदनों की स्थिति पर विचार किया गया।
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नए अल्ट्रासाउंड केंद्रों के पंजीकरण
पिछली बैठक में तीन नए अल्ट्रासाउंड केंद्रों के पंजीकरण के आवेदन आए थे। जिलाधिकारी ने निर्देश दिया था कि इन आवेदनों की गहन जांच हो। इसके लिए एसीएम, सीएमओ और पीसीपीएनडीटी नोडल अधिकारी की संयुक्त टीम को स्थल निरीक्षण करने को कहा गया था।निरीक्षण के दौरान अस्पतालों और केंद्रों की जियो-टैग फोटोग्राफी कराई गई और पूरी रिपोर्ट समिति के समक्ष प्रस्तुत की गई। इस आधार पर इन तीनों केंद्रों को पंजीकरण की अनुमति प्रदान की गई।
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नवीनीकरण (Renewal) के प्रस्ताव
बैठक में आठ अल्ट्रासाउंड केंद्रों के नवीनीकरण के प्रस्ताव भी प्रस्तुत किए गए। समिति द्वारा निरीक्षण रिपोर्ट की समीक्षा करने के बाद इन केंद्रों के नवीनीकरण को मंजूरी दी गई।
2. नई अल्ट्रासाउंड मशीन और बदलाव
बैठक में नए अल्ट्रासाउंड मशीनों की खरीद, स्थान परिवर्तन और पुराने उपकरणों के निस्तारण पर भी चर्चा हुई। जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि:
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पुरानी मशीनों को सील कर दिया जाए और उनके निस्तारण तक नियमित निगरानी रखी जाए।
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नई मशीन लगाने से पहले पूरा सत्यापन और अनुमति आवश्यक होगी।
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किसी भी केंद्र पर डॉक्टर की बायोमैट्रिक उपस्थिति अनिवार्य होगी।
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3. बेसमेंट में अस्पताल संचालित करने पर रोक
जिलाधिकारी ने साफ निर्देश दिए कि जनपद में कोई भी अस्पताल या अल्ट्रासाउंड केंद्र बेसमेंट में संचालित नहीं होना चाहिए। उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को इसे सख्ती से लागू करने के लिए निर्देशित किया।
4. पोर्टल पर रिपोर्ट अपलोड अनिवार्य
जिलाधिकारी ने कहा कि सभी अस्पताल और अल्ट्रासाउंड केंद्र अपनी गतिविधियों की जानकारी समय पर प्यारी बिटिया पोर्टल पर अपलोड करें। इसमें किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
5. लिंग परीक्षण पर शून्य सहनशीलता (Zero Tolerance Policy)
जिलाधिकारी अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने लिंग परीक्षण को समाज और कानून दोनों के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि—
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लिंग परीक्षण करना या करवाना अपराध है।
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कोई भी पंजीकृत या गैर-पंजीकृत केंद्र इस कार्य में शामिल पाया गया तो उसके विरुद्ध तुरंत FIR दर्ज कर कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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जिला प्रशासन लगातार निगरानी कर रहा है और किसी भी प्रकार की सूचना पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी।
अधिकारियों को दिए गए निर्देश
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मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) को निर्देशित किया गया कि सभी अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर डॉक्टर की बायोमैट्रिक उपस्थिति सुनिश्चित की जाए।
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निरीक्षण टीम नियमित रूप से केंद्रों का आकस्मिक दौरा करे।
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सभी रिपोर्ट और कार्यवाही का रिकॉर्ड पोर्टल पर अपलोड किया जाए।
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यदि किसी अस्पताल या केंद्र में लिंग परीक्षण की गतिविधि पाई जाती है, तो तुरंत लाइसेंस रद्द कर दिया जाए और आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाए।
बैठक में उपस्थित अधिकारी व सदस्य
इस बैठक में कई वरिष्ठ अधिकारी और चिकित्सक मौजूद रहे। इनमें प्रमुख रूप से:
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डॉ. अरुण कुमार श्रीवास्तव (मुख्य चिकित्सा अधिकारी)
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प्रमुख अधीक्षक, जिला महिला अस्पताल
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डीजीसी क्राइम, राधा कृष्ण गुप्ता
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डॉ. सुशील कुमार (एसीएमओ एवं नोडल पीसीपीएनडीटी)
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डॉ. हरि सिंह (रेडियोडायग्नोसिस विभाग, एसएन मेडिकल कॉलेज)
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शैलेन्द्र कुमार शर्मा (जिला सूचना अधिकारी)
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डॉ. आर.के. मिश्रा (बाल रोग विशेषज्ञ, जिला महिला चिकित्सालय)
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समिति सदस्य रमेश श्रीवास्तव व दिलीप वर्मा
समाज के लिए संदेश
इस बैठक के माध्यम से जिला प्रशासन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बेटियों के जन्म पर अंकुश लगाने वाली मानसिकता अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
जिलाधिकारी ने आम जनता से भी अपील की कि यदि उन्हें कहीं भी लिंग परीक्षण जैसी गतिविधि की सूचना मिलती है तो वे तुरंत जिला प्रशासन या स्वास्थ्य विभाग को सूचित करें।
निष्कर्ष
आगरा में पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत हुई यह बैठक न केवल लिंग परीक्षण को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह समाज को भी संदेश देती है कि प्रशासन बेटियों की सुरक्षा और समान अधिकारों को लेकर गंभीर है।
कड़े निर्देशों और सख्त निगरानी के जरिए जिला प्रशासन यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि “बेटियां बोझ नहीं, सम्मान हैं।”
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