Breaking: वाइल्डलाइफ एसओएस ने आयोजित की भारत की पहली ग्लोबल एलीफैंट मास्टरक्लास — दुनिया भर के विशेषज्ञ हुए शामिल
वाइल्डलाइफ एसओएस ने आगरा में भारत की पहली “ग्लोबल एलीफैंट मास्टरक्लास” का आयोजन किया, जहाँ दुनियाभर के विशेषज्ञों ने हाथियों की चिकित्सा, पुनर्वास और संरक्षण की नवीन तकनीकें सीखीं। संस्था ने करुणा और विज्ञान को जोड़ते हुए भारत को वैश्विक वन्यजीव संरक्षण मानचित्र पर स्थापित किया।

भारत की धरती से गूँजी करुणा की पुकार — वाइल्डलाइफ एसओएस ने आयोजित की पहली ग्लोबल एलीफैंट मास्टरक्लास, दुनिया भर के विशेषज्ञ हुए शामिल
“यहाँ घायल हाथी फिर से मुस्कुराना सीखते हैं…” — कार्तिक सत्यनारायण, सीईओ, वाइल्डलाइफ एसओएस
एस. शेरवानी (ब्यूरो चीफ़)
आगरा | 31 अक्टूबर 2025
आगरा — भारत के ऐतिहासिक शहर आगरा में एक ऐसा अनूठा आयोजन हुआ जिसने न केवल विज्ञान बल्कि संवेदना और करुणा को भी नई ऊंचाई दी।
वाइल्डलाइफ एसओएस (Wildlife SOS) ने भारत की पहली ग्लोबल एलीफैंट मास्टरक्लास (Global Elephant Masterclass) का आयोजन किया, जिसमें दुनिया भर से आए वन्यजीव विशेषज्ञों, पशु चिकित्सकों और शोधकर्ताओं ने हिस्सा लिया।
इस 10-दिवसीय मास्टरक्लास ने यह साबित कर दिया कि भारत न केवल संस्कृति का केंद्र है, बल्कि वन्यजीव संरक्षण का भी ध्रुवतारा बन रहा है।
भारत की धरती पर करुणा और विज्ञान का संगम
वाइल्डलाइफ एसओएस, जो वर्षों से भारत के जंगलों, सड़कों और गाँवों से घायल एवं प्रताड़ित जानवरों को बचाकर नया जीवन दे रही है, ने इस आयोजन के माध्यम से वैश्विक स्तर पर हाथी संरक्षण के क्षेत्र में भारत की अग्रणी भूमिका को सशक्त किया है।
संस्था का उद्देश्य स्पष्ट है —
“जहाँ विज्ञान और संवेदना मिलते हैं, वहीं जीवन फिर से खिल उठता है।”
मास्टरक्लास का केंद्र बिंदु रहा —
हाथियों की चिकित्सा, पुनर्वास, व्यवहारिक अध्ययन, आहार प्रबंधन और उनके सामाजिक व्यवहार का वैज्ञानिक विश्लेषण।
प्रतिभागियों ने देखा भारत का पहला हाथी अस्पताल और संरक्षण केंद्र

दुनिया भर से आए प्रतिभागियों को वाइल्डलाइफ एसओएस के एलीफैंट हॉस्पिटल (Elephant Hospital), एलीफैंट कंज़र्वेशन एंड केयर सेंटर (ECCC) और भालू संरक्षण केंद्र का दौरा कराया गया।
इन स्थानों पर उन्होंने देखा कि किस तरह अत्याधुनिक सुविधाओं, संवेदनशील देखभालकर्ताओं और अनुभवी पशु चिकित्सकों की टीम प्रताड़ित हाथियों को पुनः स्वस्थ बना रही है।
आधुनिक एक्स-रे और थर्मल इमेजिंग तकनीकें
मेडिकल पूल्स और फुट केयर यूनिट्स
हाथियों के लिए विशेष डाइट चार्ट
भावनात्मक हीलिंग थेरेपी और बिहेवियरल स्टडीज
इन सबने मिलकर प्रतिभागियों को दिखाया कि पशु चिकित्सा केवल इलाज नहीं, बल्कि मनुष्य और जानवर के बीच भावनात्मक जुड़ाव की प्रक्रिया है।
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“यही वह जगह है जहाँ हाथी दोबारा जीना सीखते हैं” — कार्तिक सत्यनारायण
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने कहा —
“हमारे हाथी अभयारण्य केवल चिकित्सा केंद्र नहीं हैं, यह करुणा की प्रयोगशालाएँ हैं। यहाँ आने वाला हर हाथी, जो कभी सड़कों पर बोझ ढोता था या सर्कस में पीड़ा सहता था, अब आज़ादी की हवा में सांस लेता है। यही वह जगह है जहाँ हाथी फिर से हाथी बनना सीखते हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि इस मास्टरक्लास के जरिए हम यह दिखाना चाहते हैं कि भारत का संरक्षण मॉडल न केवल वैज्ञानिक है बल्कि मानवता की जड़ों से जुड़ा हुआ भी है।
“ट्रैवल विद वाइल्डलाइफ एसओएस” — ज्ञान और अनुभव का अनूठा सफर

यह मास्टरक्लास संस्था की विशेष श्रृंखला “Travel With Wildlife SOS” का हिस्सा है।
इसका उद्देश्य है दुनियाभर के लोगों को ऐसे शैक्षिक और अनुभवात्मक यात्राओं से जोड़ना, जहाँ वे सीधे संरक्षण कार्यों को देखकर समझ सकें।
संस्था के मुताबिक, 2026 और 2027 में “Incredible India Wildlife Adventure” नामक अगला प्रोग्राम आयोजित किया जाएगा —
जहाँ प्रतिभागी भारत की विविध जैविक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षण के दृष्टिकोण से देख पाएंगे।
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संस्कृति और प्रकृति का अनूठा संगम — आगरा से केवलादेव तक
प्रतिभागियों को न केवल संरक्षण, बल्कि भारत की जीवंत सांस्कृतिक विरासत से भी परिचित कराया गया।
इस दौरान उन्होंने देखा:
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यूनेस्को विश्व धरोहर पक्षी अभयारण्य केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान,
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ताजमहल और आगरा किला,
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तथा फतेहपुर सीकरी के ऐतिहासिक स्थापत्य स्थल।
इन यात्राओं ने प्रतिभागियों को दिखाया कि कैसे भारत में संस्कृति और प्रकृति एक ही सूत्र में गुँथी हुई हैं।
हर ईंट, हर पेड़, हर जीव — एक ही बात कहता है — सह-अस्तित्व ही असली सभ्यता है।
“विज्ञान और करुणा का संगम” — डॉ. ए. शा अरुण

वाइल्डलाइफ एसओएस के रिसर्च एवं पशु चिकित्सा सेवाओं के निदेशक डॉ. ए. शा अरुण ने कहा —
“यह मास्टरक्लास प्रतिभागियों को यह समझने का अवसर देती है कि एक घायल हाथी को फिर से स्वस्थ करने के पीछे कितना विज्ञान और कितनी भावना होती है।”
उन्होंने बताया कि प्रतिभागियों ने सीखा कि
कैसे स्वास्थ्य मूल्यांकन, उपचार प्रक्रिया, पौष्टिक आहार योजना, और संवर्धन गतिविधियाँ मिलकर एक हाथी को शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी स्वस्थ करती हैं।
“हम चाहते हैं कि लोग सिर्फ जानवरों से प्यार न करें, बल्कि उनकी पीड़ा को भी समझें — तभी असली संरक्षण संभव है।”
भारत को मिला वैश्विक सम्मान — संरक्षण की नई दिशा
इस मास्टरक्लास ने भारत को वैश्विक संरक्षण मानचित्र पर नई पहचान दी है।
दुनिया भर के प्रतिभागियों ने माना कि भारत की करुणा-आधारित संरक्षण नीति एक नैतिक मॉडल बन सकती है।
यह आयोजन न केवल हाथियों के लिए बल्कि समूचे वन्यजीव जगत के लिए एक उम्मीद की किरण है।
वाइल्डलाइफ एसओएस की इस पहल ने यह साबित कर दिया है कि —
“जब इंसान अपने दिल से किसी प्राणी की मदद करता है, तो विज्ञान भी मानवता की भाषा बोलने लगता है।”
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