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अटल जी के गांव बटेश्वर में बने भव्य रेलवे स्टेशन: चाहर

सांसद चाहर ने अटल जी के पैतृक गांव बटेश्वर में भव्य रेलवे स्टेशन बनाए जाने की मांग की

अटल जी के पैतृक गांव बटेश्वर में भव्य रेलवे स्टेशन की मांग तेज़, सांसद राजकुमार चाहर ने संसद में उठाया मुद्दा

तिथि: 30 जुलाई 2025

एस. शेरवानी (ब्यूरो चीफ़)-

आगरा। आगरा जिले के एक छोटे मगर ऐतिहासिक गांव बटेश्वर को लेकर देश की संसद में एक भावनात्मक और विकासोन्मुख मांग उठी। यह मांग उठाई गई फतेहपुर सीकरी से सांसद व किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजकुमार चाहर द्वारा, जिन्होंने भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के पैतृक गांव बटेश्वर में स्थित रेलवे होल्ट को पूर्ण और भव्य रेलवे स्टेशन में परिवर्तित किए जाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।

लोकसभा में गूंजा बटेश्वर का नाम, सांसद चाहर ने रखा मुद्दा

संसद भवन में चल रहे मानसून सत्र के दौरान सांसद राजकुमार चाहर ने केंद्र सरकार का ध्यान बटेश्वर की ओर आकर्षित करते हुए कहा कि यह स्थान न केवल उत्तर प्रदेश के लिए, बल्कि पूरे भारतवर्ष के लिए गर्व का विषय है क्योंकि यह अटल जी का जन्मस्थल और आध्यात्मिक प्रेरणा का केंद्र है।

उन्होंने कहा, “मुझे प्रसन्नता है कि मेरे संसदीय क्षेत्र फतेहपुर सीकरी में बटेश्वर आता है। यह स्थान न केवल ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व का है, बल्कि यह अटल बिहारी वाजपेयी जी की जन्मस्थली भी है। ऐसे पावन स्थल पर केवल एक छोटा सा रेलवे होल्ट है, जो आज तक स्टेशन का दर्जा नहीं पा सका।”

सांसद की सरकार से मांग – बटेश्वर होल्ट को मिले स्टेशन का दर्जा

राजकुमार चाहर ने विशेष रूप से रेल मंत्री की उपस्थिति में केंद्र सरकार से आग्रह किया कि बटेश्वर रेलवे होल्ट को जल्द से जल्द एक आधुनिक सुविधाओं से युक्त भव्य रेलवे स्टेशन में परिवर्तित किया जाए। उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन केवल एक बुनियादी ढांचे का विस्तार नहीं, बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

सांसद चाहर ने यह भी सुझाव दिया कि बटेश्वर स्टेशन पर प्रमुख एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव सुनिश्चित किया जाए। इससे देश के कोने-कोने से श्रद्धालु और पर्यटक इस ऐतिहासिक गांव तक आसानी से पहुंच सकेंगे।

बटेश्वर: आस्था, संस्कृति और इतिहास का संगम

108 मंदिरों की श्रृंखला और यमुना के किनारे बसा पवित्र धाम

बटेश्वर केवल अटल जी का पैतृक गांव ही नहीं, बल्कि एक प्राचीन धार्मिक स्थल भी है। यहां ब्रह्मलाल जी महाराज का मंदिर, 108 शिव मंदिरों की श्रृंखला और यमुना नदी के तट पर बसे इस तीर्थ को श्रद्धालु “तीर्थों का भांजा” भी कहते हैं। यह स्थान हजारों वर्षों से ब्रज क्षेत्र के धार्मिक मानचित्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

हर वर्ष यहां बटेश्वर पशु मेला और बटेश्वर महोत्सव जैसे आयोजनों में लाखों श्रद्धालु और पर्यटक शामिल होते हैं, लेकिन अपर्याप्त रेल सुविधा के कारण इन आयोजनों में पहुंचना आज भी एक चुनौती बना हुआ है।

रेलवे स्टेशन बनने से होगा बटेश्वर का कायाकल्प

पर्यटन को बढ़ावा, रोज़गार के नए द्वार

सांसद चाहर ने कहा कि अगर बटेश्वर में आधुनिक रेलवे स्टेशन स्थापित होता है तो न सिर्फ धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि इससे स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार के अवसर भी पैदा होंगे। होटल, गाइड, वाहन सेवा, दुकानों और शिल्प व्यवसाय जैसे क्षेत्रों में स्थानीय युवाओं को स्वरोजगार मिल सकेगा।

वर्तमान में यहां केवल एक छोटा सा रेलवे होल्ट है, जहां सीमित ट्रेनों का ठहराव होता है। इस वजह से देश के विभिन्न हिस्सों से बटेश्वर आना कठिन होता है। सांसद की मांग है कि रेलवे स्टेशन पर वेटिंग हॉल, डिजिटल टिकटिंग, पीने के पानी, शौचालय और रैंप जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं और इसे एक पर्यटक फ्रेंडली स्टेशन के रूप में विकसित किया जाए।

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राजनीतिक संकल्प और सांस्कृतिक सम्मान का प्रतीक

बटेश्वर स्टेशन: श्रद्धा और राष्ट्र के गौरव का संगम

यह मांग केवल एक विकास कार्य नहीं, बल्कि एक राजनीतिक-सांस्कृतिक सम्मान भी है। अटल बिहारी वाजपेयी जी ने भारतीय राजनीति में जो आदर्श, भाषा और सोच दी, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक है। बटेश्वर रेलवे स्टेशन का निर्माण उनके विचारों और योगदान को स्थायी श्रद्धांजलि देने का माध्यम बन सकता है।

राजकुमार चाहर ने कहा, “अगर इस स्थान को रेलवे स्टेशन का दर्जा मिल जाता है, तो यह न केवल अटल जी के व्यक्तित्व को सम्मान देने जैसा होगा, बल्कि बटेश्वर जैसे सैकड़ों छोटे मगर ऐतिहासिक गांवों को राष्ट्र की मुख्यधारा में लाने का संदेश भी देगा।”

बटेश्वर को लेकर पूर्व की योजनाएं और संभावनाएं

बटेश्वर को केंद्र और राज्य सरकार ने पहले ही धार्मिक पर्यटन सर्किट में शामिल कर लिया है। ‘ब्रज तीर्थ विकास परिषद’, उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग और केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने भी यहां विभिन्न विकास कार्यों के लिए बजट स्वीकृत किए हैं।

अब अगर इस प्रयास को रेल मंत्रालय का सहयोग भी मिल जाए, तो बटेश्वर का कायाकल्प निश्चित हो जाएगा। सांसद चाहर की यह मांग न केवल स्थानीय भावना का प्रतिनिधित्व करती है, बल्कि यह दर्शाती है कि कैसे स्थानीय विरासत को राष्ट्रीय गौरव में परिवर्तित किया जा सकता है।

निष्कर्ष:

बटेश्वर जैसे ऐतिहासिक और आस्था से जुड़े स्थल को रेल नेटवर्क से पूर्ण रूप से जोड़ना समाज, संस्कृति और अर्थव्यवस्था तीनों की दृष्टि से अत्यंत आवश्यक हो गया है। सांसद राजकुमार चाहर की यह मांग संसद के मंच से उठाई गई एक ऐसी आवाज़ है, जो बटेश्वर को एक नई पहचान और गति दे सकती है

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या केंद्र सरकार और रेल मंत्रालय इस मांग को प्राथमिकता देते हुए बटेश्वर को भव्य रेलवे स्टेशन का तोहफा देती है, जो अटल जी की विरासत को नई ऊंचाइयों तक ले जाए।

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