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आगरा में महिला जनसुनवाई करेंगी डॉ. बबीता सिंह चौहान

महिला जनसुनवाई, डॉ. बबीता सिंह चौहान

आगरा में होगी महिला जनसुनवाई, अध्यक्ष डॉ. बबीता सिंह चौहान दिलाएंगी पीड़ित महिलाओं को त्वरित न्याय

एस. शेरवानी (ब्यूरो चीफ़) –

आगरा, 28 जुलाई 2025

उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. बबीता सिंह चौहान द्वारा महिलाओं के उत्पीड़न से जुड़ी शिकायतों के त्वरित निस्तारण और न्याय सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जनसुनवाई का आयोजन 29 जुलाई 2025 को पूर्वाह्न 11:00 बजे सर्किट हाउस, आगरा में किया जाएगा।

यह आयोजन महिला अधिकारों की सुरक्षा, महिला उत्पीड़न की रोकथाम, और सरकारी तंत्र की जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक सशक्त कदम माना जा रहा है।

पीड़ित महिलाओं से अधिक से अधिक संख्या में जनसुनवाई में शामिल होने की अपील

राज्य महिला आयोग और जिला प्रशासन की ओर से अपील की गई है कि महिला उत्पीड़न से पीड़ित महिलाएं अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर जनसुनवाई का लाभ उठाएं। यह अवसर उन्हें प्रत्यक्ष रूप से आयोग की अध्यक्ष के समक्ष अपनी समस्याएं रखने का मिलेगा, जहां उनका संवेदनशीलता और गंभीरता से निस्तारण किया जाएगा।

पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ होगी समीक्षा बैठक

इस जनसुनवाई कार्यक्रम में पुलिस आयुक्त, उनकी ओर से नामित वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, महिला थानाध्यक्ष, सीओ रैंक के अधिकारी, और संबंधित थानों के अधिकारीगण उपस्थित रहेंगे। आयोग की अध्यक्ष महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों की समीक्षा बैठक भी इसी दौरान करेंगी, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि जिन मामलों में कार्रवाई लंबित है, उसमें तेजी लाई जाए।

विभागीय अधिकारियों को दिए गए निर्देश

महिला जनसुनवाई के दौरान प्रत्येक संबंधित विभाग जैसे पुलिस, महिला कल्याण, श्रम, सामाजिक कल्याण, जिला प्रोबेशन कार्यालय, बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग से संबंधित अधिकारी अपने-अपने विभाग की सूचना, आंकड़े व प्रकरणों की स्थिति के साथ उपस्थित रहेंगे। प्राप्त आवेदनों का मौके पर संयुक्त रूप से निस्तारण करने की कार्यवाही की जाएगी।

क्यों है यह जनसुनवाई महत्वपूर्ण?

उत्तर प्रदेश में महिला सशक्तिकरण को लेकर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, परंतु जमीनी स्तर पर उत्पीड़न की घटनाएं अब भी सामने आती हैं। ऐसे में राज्य महिला आयोग द्वारा जनपदों में जाकर जनसुनवाई करना पीड़ित महिलाओं को सीधा मंच देने का माध्यम है, जिससे:

  • महिलाओं को बिना डर अपनी बात कहने का मौका मिलता है

  • पुलिस और प्रशासन पर जवाबदेही सुनिश्चित होती है

  • लंबित मामलों में गति आती है

  • तत्काल सहायता की प्रक्रिया सुगम बनती है

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. बबीता सिंह चौहान ने विभिन्न जिलों में इस प्रकार की जनसुनवाइयों के माध्यम से सैकड़ों पीड़ित महिलाओं को त्वरित न्याय दिलाया है, जो एक प्रशंसनीय पहल मानी जाती है।

महिला सुरक्षा और सम्मान पर विशेष जोर

जनसुनवाई के दौरान महिला उत्पीड़न से संबंधित कई विषयों जैसे:

  • घरेलू हिंसा

  • दहेज प्रताड़ना

  • कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न

  • शादी का झांसा देकर शोषण

  • भरण-पोषण व संपत्ति विवाद

  • किशोरियों से छेड़छाड़ व उत्पीड़न

पर आधारित शिकायतों को प्रमुखता से सुना जाएगा।

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आयोग अध्यक्ष की स्पष्ट मंशा – “न्याय में देरी नहीं हो”

डॉ. बबीता सिंह चौहान का यह स्पष्ट संदेश रहा है कि

“महिला उत्पीड़न के मामलों में न्याय में देरी अपने आप में अन्याय है। आयोग का प्रयास है कि हर पीड़ित महिला को सुनवाई का अवसर मिले और उसकी समस्या का समुचित व त्वरित समाधान सुनिश्चित हो।”

उनकी इस दृढ़ नीति के चलते महिला जनसुनवाई के दौरान संबंधित विभागों को निर्देशित किया जाता है कि मौके पर ही फैसला संभव हो तो करें, अन्यथा समयसीमा तय कर उसका अनुपालन सुनिश्चित करें

महिला जनसुनवाई को लेकर प्रशासन ने की तैयारी

जिला प्रशासन ने सर्किट हाउस सभागार में जनसुनवाई हेतु समुचित व्यवस्थाएं कर दी हैं। बैठने की व्यवस्था, गोपनीय काउंटर, महिला पुलिस की तैनाती, हेल्प डेस्क, पंजीकरण काउंटर आदि बनाए गए हैं। महिलाओं की सुविधा को देखते हुए जलपान व चिकित्सकीय सहायता की भी व्यवस्था रहेगी।

महिला जनसुनवाई का विवरण:

  • तारीख: 29 जुलाई 2025 (मंगलवार)

  • समय: पूर्वाह्न 11:00 बजे से

  • स्थान: नव-निर्मित सर्किट हाउस सभागार, आगरा

  • मुख्य उपस्थितिः डॉ. बबीता सिंह चौहान, अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग

  • उपस्थित अधिकारी: पुलिस आयुक्त कार्यालय प्रतिनिधि, महिला थाना, जिला प्रोबेशन अधिकारी, ICDS, अन्य विभागीय अधिकारी

निष्कर्ष: महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में मजबूत कदम

आगरा में आयोजित हो रही यह महिला जनसुनवाई महिला अधिकारों की रक्षा और न्याय दिलाने की दिशा में राज्य महिला आयोग की गंभीरता को दर्शाती है। यह महिला जनसुनवाई न केवल पीड़ित महिलाओं को मंच प्रदान करती है, बल्कि प्रशासन व कानून व्यवस्था को भी प्रभावी तरीके से क्रियान्वयन की चुनौती देती है।

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