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आगरा में 13 सितंबर को लोक अदालत, ऋण वादों पर बैठक

राष्ट्रीय लोक अदालत के आयोजन के तहत समीक्षा बैठक आहूत की गई

राष्ट्रीय लोक अदालत 13 सितंबर को, बैंक ऋण वादों के निस्तारण को लेकर हुई समीक्षा बैठक

अधिक से अधिक ऋण वादों का निस्तारण हो, बैंकों को निर्देश | आगरा में आयोजित हुई समन्वय बैठक, लीड बैंक, सरकारी-बैंक प्रतिनिधि रहे मौजूद

एस. शेरवानी (ब्यूरो चीफ़) –

आगरा। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली एवं उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के दिशा-निर्देशों के अंतर्गत जनपद न्यायाधीश संजय कुमार मलिक के मार्गदर्शन में जनपद आगरा में 13 सितंबर 2025 (शनिवार) को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा। इस संदर्भ में डॉ. दिव्यानंद द्विवेदी, अपर जिला जज/सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, आगरा की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया।

बैंक ऋण वादों के निस्तारण को प्राथमिकता

बैठक में लीड डिस्ट्रिक्ट मैनेजर, केनरा बैंक, आगरा के साथ-साथ पंजाब नेशनल बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, ग्रामीण बैंक, यूनियन बैंक, इंडियन बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया सहित जिले के प्रमुख बैंकों के शाखा प्रबंधकगण एवं वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। बैठक का प्रमुख उद्देश्य आगामी राष्ट्रीय लोक अदालत में लंबित ऋण वादों का अधिकतम निस्तारण सुनिश्चित करना था।

ऋषिकेश बैनर्जी, अग्रीन बैंक प्रबंधक सहित सभी बैंकों को निर्देशित किया गया कि वे ऐसे मामलों की पूर्व समीक्षा कर संबंधित पक्षों से समन्वय स्थापित करें, जिससे आपसी सहमति से समाधान निकल सके।

राष्ट्रीय, लोक अदालत, 2025

बैंकों को दिए गए स्पष्ट निर्देश

बैठक में डॉ. दिव्यानंद द्विवेदी द्वारा यह स्पष्ट किया गया कि –

  • ऋण वसूली, एनपीए, लोन समझौते, ब्याज माफी जैसे मामलों में आपसी सहमति से निपटारा हो।

  • किसी भी स्थिति में वादकारियों को प्रक्रियागत शिथिलता का शिकार न बनाया जाए।

  • बैंक अधिकारी अदालत पूर्व बैठकों के माध्यम से मामलों की सुलह प्रक्रिया प्रारंभ करें।

  • दोनों पक्षों – वादी व प्रतिवादी – के बीच सीधा संवाद स्थापित कर सहमति बनाएं।

राष्ट्रीय लोक अदालत का महत्व

डॉ. दिव्यानंद द्विवेदी ने कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत न केवल वाद निस्तारण का सशक्त मंच है, बल्कि यह समाज में आपसी सौहार्द और न्याय के सरल समाधान का प्रतीक भी है। यहाँ हार-जीत नहीं होती, बल्कि दोनों पक्षों को लाभ होता है।

लोक अदालतों के माध्यम से –

  • न्यायिक प्रक्रिया को सरल एवं सुलभ बनाया जाता है।

  • लंबित मामलों को तेजी से हल किया जा सकता है।

  • न्यायालयों के ऊपर वाद भार कम होता है।

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प्रशासन से सहयोग की अपील

अपर जिला जज ने जिला प्रशासन से भी अपील की कि वे इस आयोजन को सफल बनाने हेतु जनजागरूकता अभियान चलाएं, ताकि अधिक से अधिक वादकारी लोक अदालत की प्रक्रिया का लाभ उठा सकें।

डॉ. द्विवेदी ने यह भी कहा कि आगरा जिले में कई ऐसे वाद हैं जो लंबे समय से लंबित हैं, जिनका समाधान लोक अदालत के माध्यम से निकाला जा सकता है – चाहे वह बिजली बिल विवाद हो, जल कर विवाद हो, पारिवारिक विवाद हो अथवा बैंक ऋण संबंधित मामला।

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लोक अदालत के संभावित वाद क्षेत्र

13 सितंबर को आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत में निम्नलिखित प्रकार के वादों का निस्तारण प्राथमिकता से किया जाएगा:

  • बैंक ऋण वसूली से संबंधित वाद

  • बिजली/जल बिल विवाद

  • मजदूरी भुगतान वाद

  • पारिवारिक मामले (भरण-पोषण, तलाक, समझौते आदि)

  • मोटर दुर्घटना दावा

  • भूमि विवाद (जहाँ आपसी सहमति संभव हो)

  • अन्य सिविल मामले जिनमें आपसी समझौता बन सके

प्रचार-प्रसार एवं तैयारी की रणनीति

बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि:

  • बैंकों द्वारा वादकारियों से व्यक्तिगत संपर्क किया जाएगा।

  • जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा होर्डिंग्स, पोस्टर्स, पंपलेट्स के माध्यम से प्रचार किया जाएगा।

  • रेडियो व सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर भी लोक अदालत की जानकारी साझा की जाएगी।

न्याय सुलभ बनाना प्राथमिक उद्देश्य – डॉ. द्विवेदी

अंत में, अपर जिला जज डॉ. दिव्यानंद द्विवेदी ने स्पष्ट किया कि लोक अदालत का उद्देश्य न्याय को जटिल प्रक्रिया से बाहर लाकर आमजन तक पहुँचाना है। विशेष रूप से कमजोर वर्ग, ग्रामीण क्षेत्र, बुजुर्ग व अशिक्षित वादियों के लिए यह एक प्रभावी मंच है।

उन्होंने सभी विभागों, बैंकों और प्रशासन से अनुरोध किया कि वे इस आयोजन को पूर्ण सहयोग प्रदान करें।

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