खेरागढ़ में FLN प्रशिक्षण: शिक्षकों को नई सीख मिली
खेरागढ़ BRC पर फाउंडेशनल लिटरेसी एवं न्यूमरेसी प्रशिक्षण शुरू, शिक्षकों को FLN व NCERT आधारित गतिविधि आधारित शिक्षण की नई दिशा मिली।
एस. शेरवानी (ब्यूरो चीफ़) –
आगरा/खेरागढ़। शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और विद्यार्थियों को फाउंडेशनल लिटरेसी एंड न्यूमरेसी (FLN) यानी बुनियादी भाषा और गणना कौशल में सक्षम बनाने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है। इसी क्रम में खेरागढ़ स्थित ब्लॉक संसाधन केंद्र (BRC) पर दिनांक 28 अगस्त से FLN प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। इस पांच दिवसीय प्रशिक्षण का संचालन खंड शिक्षा अधिकारी महेश चंद्र की अध्यक्षता में किया गया।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्राथमिक कक्षाओं के प्रत्येक विद्यार्थी को पढ़ने, लिखने और गणना करने की बुनियादी दक्षता समय से प्राप्त हो। इस लक्ष्य को हासिल करने में शिक्षक सबसे अहम भूमिका निभाते हैं और यही वजह है कि NCERT आधारित पाठ्यपुस्तकों और गतिविधि-आधारित शिक्षण पद्धति पर यह विशेष प्रशिक्षण आयोजित किया जा रहा है।
भाषा शिक्षण पर विशेष जोर
प्रशिक्षण सत्र में संदर्भदाता डॉ. सतीश कुमार ने शिक्षकों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि FLN की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि शिक्षक बच्चों को भाषा के चार मूलभूत स्तंभ – सुनना, बोलना, पढ़ना और लिखना (सु.बो.प.लि.) – में कितनी मजबूती से तैयार करते हैं। उन्होंने बताया कि बच्चों में भाषा के विकास के लिए कहानी सुनाना, समूह चर्चा कराना और रोल प्ले जैसी गतिविधियाँ बेहद उपयोगी हैं।
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गणित को व्यावहारिक जीवन से जोड़ने पर चर्चा
अकादमिक रिसोर्स पर्सन सौरभ शर्मा ने प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि गणित को केवल सूत्रों और सवालों तक सीमित नहीं रखना चाहिए। यदि शिक्षक बच्चों को यह समझाएं कि गणित रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा है, तो बच्चों की इसमें रुचि स्वतः बढ़ जाएगी। खरीददारी, समय प्रबंधन, खेल और मापन जैसे उदाहरणों से गणित को रोचक तरीके से पढ़ाया जा सकता है।
अंग्रेजी शिक्षण को रुचिकर बनाने की रणनीति
संदर्भदाता उमेश चंद गर्ग ने कहा कि बच्चों को अंग्रेजी भाषा से जोड़ने के लिए सबसे पहले उनमें आत्मविश्वास पैदा करना ज़रूरी है। उन्होंने सुझाव दिया कि शिक्षक बच्चों को छोटे-छोटे वाक्यों से बोलने के लिए प्रेरित करें और खेल-खेल में अंग्रेजी सिखाने के तरीके अपनाएं। इससे बच्चे भयमुक्त होकर नई भाषा सीखने में सक्षम होंगे।
कार्यपुस्तिकाओं का महत्व
प्रशिक्षण में सहायक अध्यापक धीरेंद्र प्रताप सिंह और अकादमिक रिसोर्स पर्सन संतोष कुमार राजपूत ने कार्यपुस्तिकाओं (वर्कबुक्स) के प्रयोग पर विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि वर्कबुक्स बच्चों के सीखने की प्रक्रिया को और सुदृढ़ बनाती हैं, क्योंकि इसमें अभ्यास के पर्याप्त अवसर मिलते हैं।
FLN प्रशिक्षण की उपयोगिता
यह पांच दिवसीय FLN प्रशिक्षण केवल शिक्षकों के लिए एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं बल्कि बच्चों की शैक्षिक नींव मजबूत करने का ठोस प्रयास है। प्रशिक्षण के बाद शिक्षक अपने-अपने विद्यालयों में जाकर गतिविधि-आधारित शिक्षण को लागू करेंगे, जिससे बच्चे न केवल पढ़ना-लिखना सीखेंगे बल्कि तर्कशक्ति और समस्या समाधान कौशल में भी आगे बढ़ेंगे।
कार्यक्रम में सक्रिय सहभागिता
प्रशिक्षण में बड़ी संख्या में शिक्षक और शिक्षा से जुड़े अधिकारी उपस्थित रहे। सौरभ शर्मा, संतोष शर्मा, डॉ. सतीश कुमार, उमेश चंद्र गर्ग, धीरेंद्र प्रताप सिंह सहित कई अनुभवी शिक्षकों ने अपने सत्रों का संचालन किया।
इस दौरान कार्यालय सहायक गौरव लवानियां, जयवीर सिंह, बीरेंद्र सिंह और कंप्यूटर ऑपरेटर अमीर आज़म ने व्यवस्था को संभालते हुए प्रशिक्षण को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
FLN मिशन से जुड़ी बड़ी उम्मीदें
भारत सरकार और उत्तर प्रदेश शिक्षा विभाग का लक्ष्य है कि 2026 तक कक्षा 3 तक के सभी बच्चों को बुनियादी साक्षरता और अंकगणितीय दक्षता से निपुण बनाया जाए। इस दिशा में चल रहा FLN मिशन शिक्षकों, अभिभावकों और बच्चों के संयुक्त प्रयासों से ही सफल होगा।
खेरागढ़ में आयोजित यह प्रशिक्षण इस मिशन को और मजबूती देगा। शिक्षक जब नई शिक्षण पद्धतियों को अपनाएंगे तो बच्चों की सीखने की गति तेज होगी और शिक्षा की गुणवत्ता में व्यापक सुधार होगा।
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