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प्राथमिक शिक्षक संघ ने विद्यालय मर्जर, OPS आदि मुद्दे पर धरना देकर भरी हुंकार

पुरानी पेंशन और विद्यालय मर्जर के खिलाफ 10 सूत्रीय मांगों को लेकर आगरा में प्राथमिक शिक्षक संघ का जोरदार धरना

प्राथमिक शिक्षक संघ आगरा का 10 सूत्रीय मांगों को लेकर जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन

आगरा | 08 जुलाई 2025 

एस. शेरवानी (ब्यूरो चीफ़) –

आगरा में शिक्षक हितों की सुरक्षा और शिक्षा व्यवस्था के सशक्तिकरण के लिए प्राथमिक शिक्षक संघ, आगरा ने एक बड़ा कदम उठाया है। संघ ने विद्यालय मर्जर, पुरानी पेंशन बहाली समेत 10 सूत्रीय मांगों को लेकर जिला मुख्यालय पर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया।

इस धरना का नेतृत्व जिला संयोजक चौधरी सुरजीत सिंह ने किया, जबकि अध्यक्षता चौधरी महावीर सिंह, पूर्व अध्यक्ष उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ, फतेहपुर सीकरी ने की। धरना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित एक ज्ञापन जिलाधिकारी के प्रतिनिधि एसीएम प्रथम को सौंपा गया।

प्राथमिक

 प्राथमिक शिक्षक संघ की मुख्य 10 मांगें:

  1. पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए – शिक्षकों की सेवानिवृत्ति के बाद सुरक्षित जीवन हेतु।

  2. विद्यालयों के मर्जर की नीति पर रोक लगाई जाए – गांवों में बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है।

  3. प्रत्येक प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक की नियुक्ति सुनिश्चित हो।

  4. शिक्षकों को कैशलैश मेडिकल सुविधा दी जाए – अन्य सरकारी कर्मचारियों की भांति।

  5. 10 लाख का सामूहिक बीमा सभी शिक्षकों को मिले – आकस्मिक घटनाओं की स्थिति में सुरक्षा हेतु।

  6. चयन वेतनमान की तरह 12 वर्षों बाद प्रोन्नति वेतनमान मिलना चाहिए – माध्यमिक शिक्षकों की तर्ज पर।

  7. ग्रीष्मकालीन शिक्षण अवधि सुबह 7:30 से दोपहर 12:30 तक की जाए – गर्मी को देखते हुए।

  8. बीएलओ ड्यूटी से शिक्षकों को मुक्त किया जाए – पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए।

  9. आकांक्षी जनपदों से अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की अनुमति दी जाए – पारिवारिक और सामाजिक संतुलन के लिए।

  10. शिक्षकों को स्थायी व नियमित पदस्थापन मिले, जिससे कार्य में स्थिरता आ सके।

धरना स्थल बना शिक्षक एकता का प्रतीक

धरने में जिले भर से सैकड़ों शिक्षक, ग्राम प्रधान, एसएमसी सदस्य, शिक्षिकाएं और पदाधिकारी शामिल हुए। उन्होंने एक स्वर में शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और शिक्षकों को उनके संवैधानिक अधिकार दिलाने की मांग की।

प्रदर्शनकारी बैनर, पोस्टर और नारों के साथ सरकार से जवाब मांगते दिखे। संघ ने कहा कि यह संघर्ष सिर्फ शिक्षक नहीं, शिक्षा व्यवस्था को बचाने के लिए है।

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धरना में शामिल प्रमुख शिक्षक व पदाधिकारी:

  • बृजेश शुक्ला

  • केके इंदौलिया

  • हरिओम यादव

  • डॉ. सोनवीर चाहर

  • मांगीलाल गुर्जर

  • प्रदीप यादव

  • ऊषा चाहर

  • सुनील राणा

  • परमवीर सिंह

  • लक्ष्मण सिंह

  • भोला सिंह यादव

  • अभय चौधरी

  • पुनीत अरोड़ा

  • डॉ. योगेश चाहर

  • पवन परमार

  • अशोक शर्मा

  • मंजीत चाहर

  • अरुण प्रसाद

  • संजय सिंह

  • भरत सिंह

  • सतेन्द्र राजावत

  • अमृतपाल

  • रानू बहादुर

  • राशिद अहमद

  • वीरेन्द्र सोलंकी

  • हाकिम सिंह पुष्कर

  • गजराज गुर्जर

  • अबनेश कुमार

  • सुमेंद्र

  • सीता वर्मा

  • प्रतिभा पौनिया

  • डॉ. जगपाल चौधरी

  • बलवीर सिंह

  • बल्देव सिकरवार

  • विजयपाल नरवार

  • दिनेश बघेल

  • बृजेश सिंह

  • प्रदीप चौधरी

  • प्रशान्त राजपूत

  • मनोज उपाध्याय

  • सुधाकर यादव

  • राजेश यादव

  • रामसेवक यादव

  • अजय व्यास

  • हर्ष कुमार

  • ज़ीशान अली

  • पुरुषोत्तम डोंडवाल

  • कौशल किशोर गुप्ता

  • महिमा सिंह

  • प्रतिभा पाल

शिक्षकों की आवाज़: “हमें हमारा हक चाहिए”

शिक्षकों ने कहा कि वे वर्षों से प्रदेश की शिक्षा को ऊंचाई देने का कार्य कर रहे हैं, लेकिन जब बात उनके अधिकारों की आती है, तो बार-बार अनसुना किया जाता है।

अब शिक्षक वर्ग एकजुट है और किसी भी स्थिति में पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने पुरानी पेंशन को सम्मानजनक वृद्धावस्था की गारंटी बताया और कहा कि यह हर सरकारी कर्मचारी का हक है।

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संघ की चेतावनी: मांगें नहीं मानी तो होगा बड़ा आंदोलन

संघ नेताओं ने स्पष्ट किया कि यदि सरकार ने जल्द कार्यवाही नहीं की, तो यह आंदोलन राज्यव्यापी और व्यापक रूप ले लेगा। “यह शुरुआत है, जरूरत पड़ी तो राजधानी तक कूच किया जाएगा।”

धरना का उद्देश्य – शिक्षा को बचाना, शिक्षक को सम्मान दिलाना

संघ ने कहा कि यह केवल व्यक्तिगत मांगें नहीं हैं, बल्कि पूरी शिक्षा व्यवस्था की स्थिरता और गुणवत्ता से जुड़ी आवश्यकताएं हैं। यदि शिक्षक मानसिक और आर्थिक रूप से संतुलित रहेंगे, तो वे समाज को बेहतर नागरिक दे सकेंगे।

निष्कर्ष:

प्राथमिक शिक्षक संघ, आगरा का यह प्रदर्शन शिक्षक हितों की लड़ाई में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। सरकार को चाहिए कि मांगों पर संवेदनशीलता से विचार करे और शिक्षकों के सम्मान और शिक्षा की गुणवत्ता दोनों को सुरक्षित करे।

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