
🌍एस. शेरवानी (ब्यूरो चीफ)
आगरा। अतीत की यादें और आने वाले कल की चिंताएं हमें वर्तमान से दूर कर रही हैं। जिसका सीधा प्रभाव हमारे कार्य और पारिवारिक जीवन पर पड़ रहा है। ‘वर्तमान में जीना’ कैसे सीखें और कार्य व निजी जीवन में संतुलन कैसे स्थापित करें इन्हीं विषयों पर गुरुवार को फीलिंग्स माइंड्स संस्था के सात दिवसीय मेंटल हेल्थ कार्निवल के पांचवें दिन एक विशेष कार्यशाला आयोजित की गई। विमल विहार, सिकंदरा-बोदला रोड स्थित संस्था कार्यालय पर आयोजित कार्यशाला में संस्था की संस्थापक एवं अंतरराष्ट्रीय मनोवैज्ञानिक डॉ. चीनू अग्रवाल ने कहा कि जीवन में सफलता की चाह में संतुलन बिगड़ जाता है। कार्यक्षेत्र में सफलता पाने वाले अक्सर निजी जीवन में असफल रहते हैं। इसके विपरीत भी होता है। जबकि यदि दोनों क्षेत्रों में संतुलन हो, तो व्यक्ति अधिक रचनात्मक और मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकता है। डॉ. चीनू अग्रवाल ने ह्यमाइंडफुलनेसह्णकी प्रक्रिया को साझा करते हुए बताया कि यह ध्यान की एक ऐसी विधि है, जो अति प्राचीन है। इस विधा का उल्लेख विज्ञान भैरव तंत्र में किया गया है। जिसमें भगवान शिव ने पार्वती को इस विधा के बारे में जानकारी दी है। माइंडफुलनेस में व्यक्ति को ‘यहां और अब’ में जीने की कला सिखाई जाती है। मुख्य वक्ता के रूप में छत्तीसगढ़ से पधारों पैरेंटिंग कोच स्वाति जैन ने कहा कि बच्चों की तरह जिज्ञासु और निर्णयों में सहज बने रहना हमें वर्तमान से जोड़ता है। उन्होंने उपस्थित एसएन मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों को ‘माइंडफुलनेस मेडिटेशन’का अभ्यास भी कराया। मुख्य अतिथि डॉ. सत्य सारस्वत ने साझा किया कि वे लंबे समय से कान में सीटी बजने की समस्या से पीड़ित थे। उन्होंने डॉ. अग्रवाल के मार्गदर्शन में माइंडफुलनेस का अभ्यास शुरू किया। विशिष्ट अतिथि डॉ. प्रीति सारस्वत ने कहा कि जब मन संतुलन में होता है, तो उसकी शांति चेहरे पर भी झलकती है।