योगी सरकार का बड़ा फैसला: 10 मंडलों में नए शिक्षा कार्यालय
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योगी सरकार का बड़ा कदम: उच्च शिक्षा में विकेन्द्रीकरण के लिए 10 मंडलों में क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी कार्यालयों को मंजूरी
रिपोर्ट: एस. शेरवानी (ब्यूरो चीफ़)-
आगरा/लखनऊ — 07 अगस्त 2025
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने उच्च शिक्षा व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़, पारदर्शी और सुगम बनाने की दिशा में एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया है। सरकार ने प्रदेश के 10 मंडलों में क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी कार्यालयों की स्थापना को स्वीकृति दी है। यह निर्णय शैक्षणिक विकेन्द्रीकरण और प्रशासनिक कुशलता के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
किन मंडलों में स्थापित होंगे नए क्षेत्रीय उच्च शिक्षा कार्यालय?
सरकार द्वारा जिन 10 मंडलों को इस योजना में शामिल किया गया है, वे हैं:
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अलीगढ़
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आजमगढ़
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प्रयागराज
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चित्रकूट
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देवीपाटन
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अयोध्या
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बस्ती
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विन्ध्याचल
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मुरादाबाद
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सहारनपुर
इन मंडलों में अभी तक कोई क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी कार्यालय नहीं था, जिससे स्थानीय महाविद्यालयों को कई बार लखनऊ या पास के बड़े शहरों पर निर्भर रहना पड़ता था। अब इन कार्यालयों की स्थापना से स्थानीय स्तर पर नीति कार्यान्वयन, निगरानी और मूल्यांकन कार्य आसान और तेज़ होगा।
कितने पद होंगे और कैसे होगी तैनाती?
प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री श्री योगेन्द्र उपाध्याय ने जानकारी देते हुए बताया कि हर क्षेत्रीय कार्यालय में तीन अस्थायी पदों की स्वीकृति दी गई है:
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क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी
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सहायक लेखाधिकारी
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कनिष्ठ सहायक
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कुल 30 पद (10 मंडलों × 3 पद) सृजित किए जाएंगे।
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ये पद 28 फरवरी 2026 तक के लिए अस्थायी रूप से प्रभावी रहेंगे।
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क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी का पद राजकीय महाविद्यालयों के प्राचार्यों के स्थानांतरण से भरा जाएगा।
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शेष दो पदों पर तैनाती वित्त विभाग एवं अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की प्रक्रियाओं के अनुसार की जाएगी।
सहायक सेवाएं होंगी आउटसोर्स
प्रशासनिक संचालन को चुस्त-दुरुस्त बनाए रखने के लिए सहायक सेवाओं की तैनाती आउटसोर्सिंग के माध्यम से की जाएगी। प्रत्येक मण्डल कार्यालय में निम्नलिखित मानवशक्ति की व्यवस्था की जाएगी:
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1 कंप्यूटर ऑपरेटर
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1 वाहन चालक
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1 सफाईकर्मी
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2 परिचर/चौकीदार
इस तरह पूरे प्रदेश में कुल 50 पदों की आउटसोर्सिंग तैनाती होगी। इन पदों की नियुक्ति MSME, श्रम और कार्मिक विभागों द्वारा जारी शासनादेशों के अनुरूप होगी, जिससे पारदर्शिता और योग्यता का पालन सुनिश्चित किया जा सके।
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वित्तीय व प्रशासनिक दृष्टिकोण
निदेशक, उच्च शिक्षा को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि:
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सभी सृजित पद न्यूनतम आवश्यक कार्यात्मक जरूरतों के आधार पर हों।
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पदों पर 7वें वेतन आयोग के अनुसार वेतन और भत्ते लागू किए जाएं।
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सभी पद संबंधित संवर्ग में अस्थायी वृद्धि के रूप में माने जाएंगे।
यह दृष्टिकोण यह दर्शाता है कि योगी सरकार ने यह निर्णय केवल पद सृजन के लिए नहीं, बल्कि समग्र प्रशासनिक सुधार के उद्देश्य से लिया है।
क्या होंगे इस फैसले के सकारात्मक प्रभाव?
यह निर्णय शिक्षा के क्षेत्र में कई सकारात्मक बदलावों की नींव रखता है, जैसे:
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उच्च शिक्षा संस्थानों की स्थानीय स्तर पर प्रभावी निगरानी और मूल्यांकन।
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कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को दैनिक प्रशासनिक मामलों में शीघ्र सहायता मिलेगी।
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पारदर्शिता और जवाबदेही की भावना बढ़ेगी।
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छात्रों को तेजी से सुविधा और मार्गदर्शन प्राप्त होगा।
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नौकरियों के नए अवसर उत्पन्न होंगे, विशेषकर स्थानीय युवाओं के लिए।
सरकार की नीति और विज़न
योगी सरकार की शिक्षा नीति का मूल उद्देश्य “सबको समान, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा” उपलब्ध कराना है। इससे पहले भी सरकार ने डिजिटल लाइब्रेरी, ई-क्लास, स्मार्ट क्लासरूम, छात्रवृत्ति योजना जैसी कई पहलों के माध्यम से उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार किया है। अब यह नई पहल दर्शाती है कि सरकार शिक्षा को न केवल सैद्धांतिक रूप से बल्कि व्यावहारिक रूप से सशक्त करने के लिए भी प्रतिबद्ध है।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में यह फैसला व्यापक प्रशासनिक सुधारों का प्रतीक है। 10 नए मंडलों में उच्च शिक्षा अधिकारी कार्यालयों की स्थापना से यह स्पष्ट हो गया है कि योगी सरकार जमीनी स्तर पर सुधार लाने की दिशा में पूरी गंभीरता से कार्य कर रही है।
इससे न केवल शैक्षणिक संस्थानों की कार्यक्षमता बढ़ेगी, बल्कि लाखों छात्रों और शिक्षकों को स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक सहयोग, मार्गदर्शन और समाधान भी सहज रूप से मिलेगा।
यह पहल भविष्य में उत्तर प्रदेश को एक ‘शिक्षा समृद्ध राज्य’ के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है।
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