गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हेतु पाठ योजना अनिवार्य: पुष्पा कुमारी
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गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए पाठ योजना अनिवार्य – आगरा में प्रारंभ हुआ 5 दिवसीय शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम
ब्यूरो रिपोर्ट – एस. शेरवानी
आगरा, 08 अगस्त 2025 |
शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने की दिशा में एक और प्रभावी कदम उठाते हुए आगरा के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (DIET) में परिषदीय शिक्षकों के लिए पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। प्रशिक्षण के पहले दिन प्राचार्य पुष्पा कुमारी ने शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि “गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तभी संभव है जब शिक्षक सुविचारित और लक्ष्य आधारित पाठ योजना के साथ कक्षा में जाएं।”
इस प्रशिक्षण का उद्देश्य शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020), राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2023 (NCF 2023), निपुण भारत मिशन, कला एवं संगीत आधारित शिक्षण, और मूल्यबोध एवं नैतिक शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण शैक्षिक घटकों से परिचित कराना है, ताकि वे बच्चों को न केवल शिक्षित, बल्कि संस्कारित और आत्मनिर्भर बना सकें।
प्रशिक्षण का शुभारंभ: शिक्षा में नवाचार की ओर एक कदम
कार्यक्रम की शुरुआत डायट सभागार में हुई, जहाँ आगरा के विभिन्न परिषदीय विद्यालयों से आए लगभग 100 शिक्षक पहले बैच में शामिल हुए। इस पूरे प्रशिक्षण कार्यक्रम में कुल 1500 शिक्षकों को चरणबद्ध तरीके से प्रशिक्षित किया जाना है।

प्राचार्य पुष्पा कुमारी ने शिक्षकों को प्रेरित करते हुए कहा:
“शिक्षक समाज के आधारस्तंभ होते हैं। अगर वे सही दिशा में कार्य करें तो राष्ट्र निर्माण की नींव मजबूत होती है। पाठ योजना केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि कक्षा शिक्षण की आत्मा है। इससे शिक्षण में स्पष्टता, रचनात्मकता और बच्चों की सहभागिता सुनिश्चित होती है।”
प्रशिक्षकों ने दिए प्रेरणादायी सत्र
प्रशिक्षण सत्रों में शिक्षकों को मार्गदर्शन देने हेतु अनुभवी संदर्भदाताओं की टीम मौजूद रही, जिनमें प्रमुख रूप से डॉ. मनोज कुमार वार्ष्णेय (प्रशिक्षण प्रभारी), अनिल कुमार, संजीव सत्यार्थी, पुष्पेन्द्र सिंह एवं अन्य विशेषज्ञ शामिल थे।
सभी विशेषज्ञों ने NEP 2020 और NCF 2023 की विस्तृत व्याख्या करते हुए बताया कि नई शिक्षा नीति का उद्देश्य केवल परीक्षा केंद्रित शिक्षा नहीं, बल्कि समग्र व्यक्तित्व विकास और जीवन कौशल पर आधारित शिक्षा देना है।
निपुण भारत मिशन पर बोलते हुए वक्ताओं ने बताया कि कक्षा 3 तक बच्चों को पढ़ने, लिखने और गणना करने की मूलभूत दक्षताओं में पारंगत करना ही इस मिशन का मूल उद्देश्य है। इसके लिए दैनिक शिक्षण योजनाएं, आकलन रणनीतियां और बालकेंद्रित गतिविधियां विशेष रूप से अपनानी होंगी।
कला एवं संगीत आधारित शिक्षण पर जोर
प्रशिक्षण में एक विशेष सत्र कला एवं संगीत आधारित शिक्षण पर रहा जिसमें बताया गया कि कैसे संगीत, चित्रकला, नाटक और हस्तशिल्प जैसी गतिविधियों को विषयवस्तु से जोड़कर शिक्षण को रोचक और प्रभावशाली बनाया जा सकता है। इससे बच्चों की रचनात्मक सोच, आत्मविश्वास और अभिव्यक्ति क्षमता को बढ़ावा मिलता है।
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नैतिक शिक्षा और मूल्यबोध – शिक्षा का मूल आधार
प्रशिक्षण के दौरान नैतिकता एवं मूल्यबोध पर केंद्रित सत्र में बताया गया कि शिक्षा केवल ज्ञान देने का माध्यम नहीं बल्कि चरित्र निर्माण का भी साधन है। शिक्षकों को बच्चों के जीवन में ईमानदारी, करुणा, सहिष्णुता और सहयोग जैसे मानवीय गुणों के विकास के लिए मार्गदर्शक बनना होगा।
पाठ योजना निर्माण – शिक्षण की रीढ़
डॉ. मनोज कुमार वार्ष्णेय ने कहा कि शिक्षक को कक्षा में जाने से पूर्व एक प्रभावशाली पाठ योजना (Lesson Plan) तैयार करनी चाहिए, जिसमें सीखने के उद्देश्य, सामग्री, गतिविधियां और मूल्यांकन विधियों का स्पष्ट उल्लेख हो।
उन्होंने यह भी बताया कि एक अच्छी पाठ योजना न केवल शिक्षण को प्रभावी बनाती है, बल्कि शिक्षकों को समय प्रबंधन और शिक्षण विधियों में सुधार करने में भी मदद करती है।
शिक्षकों का उत्साह और सहभागिता
प्रशिक्षण में उपस्थित 95 शिक्षकों ने न केवल सत्रों में सक्रिय सहभागिता की, बल्कि प्रश्नोत्तर सत्र में भी अपने विचार और जिज्ञासाएं साझा कीं। सभी ने इस प्रशिक्षण को समय की आवश्यकता बताते हुए कहा कि इससे उन्हें न केवल शैक्षणिक दृष्टिकोण से बल्कि पेशेवर विकास के लिए भी बहुत कुछ सीखने को मिला।
उपस्थित प्रमुख जनों की सूची
प्रशिक्षण सत्र में उपस्थित प्रमुख अधिकारियों एवं प्रवक्ताओं में शामिल थे:
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प्राचार्य पुष्पा कुमारी
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डॉ. मनोज कुमार वार्ष्णेय – प्रशिक्षण प्रभारी
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अनिल कुमार – नोडल प्रभारी
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संजीव कुमार सत्यार्थी – विषय विशेषज्ञ
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पुष्पेन्द्र सिंह, यशपाल सिंह, प्रवक्ता यशवीर सिंह
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कल्पना सिन्हा, प्रज्ञा शर्मा, लक्ष्मी शर्मा, अबु मुहम्मद आसिफ
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व अन्य विद्यालयों से आए परिषदीय शिक्षकगण
निष्कर्ष
शिक्षा में गुणवत्ता की बात केवल कागज़ों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि उसे धरातल पर उतारने के लिए शिक्षकों का निरंतर प्रशिक्षण, समर्पण, और समयानुकूल अपडेट रहना जरूरी है। आगरा में आयोजित यह पांच दिवसीय प्रशिक्षण न केवल शिक्षकों के लिए एक पुनर्नविकास का अवसर है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक सार्थक प्रयास भी।
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