RTE एक्ट पर शिक्षकों का आक्रोश | आगरा में कलेक्ट्रेट घेराव, राष्ट्रवादी शिक्षक महासंघ का बड़ा प्रदर्शन
आगरा में RTE एक्ट और TET अनिवार्यता के खिलाफ शिक्षकों का बड़ा आंदोलन। राष्ट्रवादी शिक्षक महासंघ ने कलेक्ट्रेट घेराव कर प्रधानमंत्री से RTE एक्ट में संशोधन की मांग की। जानें पूरी खबर।
RTE एक्ट को लेकर शिक्षकों का उबाल, राष्ट्रवादी शिक्षक महासंघ ने किया आगरा कलेक्ट्रेट का घेराव
एस. शेरवानी (ब्यूरो चीफ़)
आगरा.15.09.2025
आगरा। शिक्षा अधिकार अधिनियम (RTE Act) में संशोधन की मांग को लेकर प्रदेशभर के शिक्षकों में उबाल है। सर्वोच्च न्यायालय के हालिया आदेश के बाद जहां शिक्षकों पर TET (टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट) की अनिवार्यता का संकट गहराता जा रहा है, वहीं राष्ट्रवादी शिक्षक महासंघ ने आगरा में बड़ा विरोध प्रदर्शन किया।
प्रदेश अध्यक्ष मुकेश डागुर और जिलाध्यक्ष कीर्तिपाल सिंह टाइगर के नेतृत्व में सैकड़ों शिक्षक जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से कलेक्ट्रेट तक पैदल मार्च निकालते हुए पहुंचे। प्रदर्शन के दौरान शिक्षकों ने “TET को वापस लो” के नारे लगाए और हाथों में काले गुब्बारे लेकर सरकार की नीतियों का विरोध दर्ज कराया।
शिक्षकों का आरोप – सरकार कर रही शिक्षा का निजीकरण

प्रदर्शन के दौरान शिक्षकों ने सरकार की नीतियों को कटघरे में खड़ा किया।
प्रदेश अध्यक्ष मुकेश डागुर ने कहा –
“सरकार की नीयत ठीक नहीं है। पहले एक लाख से अधिक हेडमास्टर के पद समाप्त किए गए, फिर सरकारी स्कूलों को बंद करने की साजिश रची गई और अब TET के नाम पर शिक्षकों को हटाने की योजना बनाई जा रही है। सरकार शिक्षा का निजीकरण करना चाहती है, जिससे न केवल लाखों शिक्षकों का भविष्य खतरे में है बल्कि गरीब बच्चों के शिक्षा के अधिकार पर भी आघात होगा।”
उन्होंने प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपते हुए मांग रखी कि RTE एक्ट की धारा 23(1) में संशोधन किया जाए, ताकि सेवारत शिक्षकों पर TET का संकट खत्म हो सके।
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शिक्षकों ने दी आंदोलन तेज करने की चेतावनी
जिलाध्यक्ष कीर्तिपाल सिंह टाइगर ने चेतावनी दी कि –
“अगर सरकार ने हमारी मांगें पूरी नहीं कीं तो शिक्षक सड़कों पर उतरकर और भी बड़े स्तर पर आंदोलन करने को मजबूर होंगे। यह सिर्फ हमारी नौकरी की लड़ाई नहीं है बल्कि सरकारी शिक्षा व्यवस्था को बचाने की जंग है।”
प्रदर्शन का माहौल और शिक्षकों की मौजूदगी

विरोध प्रदर्शन में शामिल शिक्षकों के चेहरों पर गुस्सा साफ झलक रहा था। कलेक्ट्रेट परिसर में नारेबाजी के बीच काले गुब्बारे छोड़कर शिक्षकों ने अपने आक्रोश का इज़हार किया।
इस मौके पर प्रमुख रूप से राजेश रावत, मनोज शर्मा, दिग्विजय पचौरी, दीपक पटेल, विजय सिंह, सचिन उपाध्याय, उदयभान, देवेंद्र, अंजू, साइमा, वीणा, निधि, अंजली, तनुश्री, तरुण, प्रमोद, ब्रजेश, अजय चौधरी, ममता, मीनू, रोहित, जीसान, नीलम समेत सैकड़ों शिक्षक मौजूद रहे।
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क्यों गरमाया है मुद्दा?

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सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में RTE एक्ट की धारा 23(1) के तहत शिक्षकों के लिए TET पास होना अनिवार्य माना है।
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सेवारत शिक्षकों का कहना है कि यह आदेश उनकी नौकरी और भविष्य को संकट में डाल देगा।
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शिक्षक संगठनों का आरोप है कि सरकार धीरे-धीरे सरकारी शिक्षा व्यवस्था को खत्म कर प्राइवेट स्कूलों को बढ़ावा दे रही है।
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आंदोलन का मकसद केवल TET से राहत पाना नहीं है बल्कि सरकारी स्कूलों को बचाना भी है।
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आगे क्या?
राष्ट्रवादी शिक्षक महासंघ ने साफ कर दिया है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो आंदोलन को प्रदेशव्यापी उग्र आंदोलन में बदला जाएगा। आने वाले दिनों में यह मुद्दा न सिर्फ शिक्षा जगत बल्कि राजनीति और समाज दोनों में बड़ा विवाद खड़ा कर सकता है।
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