राजू हाथी बचाव को पूरे हुए 11 साल: एक ऐतिहासिक करुणा की कहानी का जश्न मना रहा भारत का सबसे प्रिय हाथी
प्रसिद्ध हाथी राजू ने वाइल्डलाइफ एसओएस के साथ पूरे किये अपनी आज़ादी के 11 साल

राजू हाथी बचाव को पूरे हुए 11 साल: एक ऐतिहासिक करुणा की कहानी का जश्न मना रहा भारत का सबसे प्रिय हाथी
एस. शेरवानी (ब्यूरो चीफ़) –
आगरा।
भारत में हाथियों के संरक्षण के इतिहास में एक ऐसा नाम है, जिसने न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिलों को छू लिया—राजू हाथी। आज, वाइल्डलाइफ एसओएस द्वारा मथुरा स्थित हाथी संरक्षण और देखभाल केंद्र में राजू की आज़ादी के 11 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया गया। कभी बेड़ियों में जकड़ा और भूख से पीड़ित यह हाथी अब करुणा, स्वतंत्रता और पुनर्वास का प्रतीक बन चुका है।
राजू हाथी की कहानी: गुलामी से आज़ादी तक
राजू को कभी इलाहाबाद (अब प्रयागराज) की सड़कों पर भीख मांगने के लिए मजबूर किया जाता था। वह जंजीरों में जकड़ा, भूखा, और लगातार शारीरिक व मानसिक उत्पीड़न का शिकार था। राजू के पैर में गहरे घाव, कान फटे हुए और शरीर पर चोट के निशान थे, जो उसके पिछले जीवन की दर्दनाक कहानी बयां करते हैं।
साल 2014 में, वाइल्डलाइफ एसओएस ने उत्तर प्रदेश वन विभाग की मदद से एक साहसिक हाथी बचाव अभियान चलाया और राजू हाथी को स्वतंत्रता दिलाई। यह मिशन पूरी दुनिया में चर्चित हुआ, क्योंकि राजू की आंखों से आंसू निकलते हुए देखे गए, जो उसकी पीड़ा और राहत का प्रतीक बन गए। इस घटना ने उसे अंतरराष्ट्रीय मीडिया में “The Elephant Who Cried” (हाथी जो रोया) की उपाधि दिलाई।
हाथी संरक्षण भारत में: वाइल्डलाइफ एसओएस की भूमिका
वाइल्डलाइफ एसओएस भारत में वन्यजीवों की सुरक्षा और पुनर्वास के लिए कार्यरत एक प्रमुख गैर-सरकारी संगठन है। यह संस्था विशेष रूप से हाथी संरक्षण, भालू बचाव, और वन्यजीव तस्करी के खिलाफ अभियान में अग्रणी भूमिका निभा रही है। राजू की आज़ादी इस संगठन की सबसे प्रेरणादायक कहानियों में से एक है।
संस्था के सीईओ और सह-संस्थापक कार्तिक सत्यनारायण ने इस अवसर पर कहा, “राजू का जीवन एक मिशन की तरह है, जिसने हमें यह सिखाया कि करुणा और धैर्य से किसी भी जीवन को बदलना संभव है। हर साल, हम इस दिन को उसके साहस और जीवटता के प्रतीक के रूप में मनाते हैं।”
आज का राजू: शांति और सुकून की ज़िंदगी
अब 61 वर्षीय राजू हाथी वाइल्डलाइफ एसओएस के हाथी संरक्षण केंद्र में एक शांत, स्वस्थ और सुरक्षित जीवन जी रहा है। उसकी दैनिक दिनचर्या में शामिल है:
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सुबह की टहलकदमी
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पूल में ताजगी भरी डुबकी
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मिट्टी में खेलना और धूल उड़ाना
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भरपेट फल और पोषण युक्त भोजन
पशु चिकित्सा उप-निदेशक डॉ. इलियाराजा ने कहा, “राजू अब शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ है। उसकी आंखों में अब डर नहीं, बल्कि सुकून और संतोष की चमक है।”
जश्न में क्या था खास?
राजू की आज़ादी की 11वीं वर्षगांठ पर उसके देखभालकर्ताओं और वाइल्डलाइफ एसओएस की टीम ने एक विशेष फल दावत का आयोजन किया। मेन्यू में शामिल थे:
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रसीले तरबूज
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ठंडे खीरे
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मीठे खजूर
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और एक विशेष दलिया-चावल का केक, जिस पर उसके पसंदीदा फल सजाए गए थे।
राजू ने पूरी खुशी के साथ इन व्यंजनों का आनंद लिया। उसका यह उत्साह देख कर वहां मौजूद सभी की आंखें नम हो गईं, लेकिन इस बार ये आंसू खुशी के थे।
राजू हाथी की कहानी क्यों है खास?
राजू का जीवन केवल एक हाथी की कहानी नहीं है, बल्कि यह एक बड़ा प्रतीक है करुणा, पशु अधिकारों और मानवीय संवेदना का। उसके द्वारा सहा गया शोषण, और फिर प्राप्त स्वतंत्रता और पुनर्वास, आज भारत में हाथी संरक्षण अभियान को एक नई दिशा दे चुका है।
गीता शेषमणि, जो वाइल्डलाइफ एसओएस की सचिव और सह-संस्थापक हैं, ने कहा, “राजू का अतीत तो दुखद था ही, लेकिन उसका वर्तमान कहीं ज़्यादा प्रेरणादायक है। उसने यह दिखाया है कि दर्द के बाद भी जीवन सुंदर हो सकता है।”
हाथी बचाव अभियान का महत्व
भारत में अब भी सैकड़ों हाथी ऐसे हैं, जिन्हें मनोरंजन, पर्यटन, मंदिरों और भीख मांगने जैसे कार्यों के लिए जबरन गुलाम बनाया गया है। हाथी बचाव अभियान का उद्देश्य इन निर्दोष जानवरों को उनके प्राकृतिक जीवन में वापस लाना है।
राजू के जैसे हाथियों की कहानियां, समाज में पशु अधिकारों की चेतना को जगाती हैं और यह संदेश देती हैं कि:
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हाथी कोई सवारी का साधन नहीं हैं
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उनका उपयोग मनोरंजन के लिए अमानवीय है
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प्राकृतिक जीवन ही उनका अधिकार है
सोशल मीडिया पर राजू की लोकप्रियता
राजू हाथी की कहानी पिछले एक दशक से सोशल मीडिया पर लाखों लोगों को छू चुकी है। ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म पर #RajuTheElephant और #ElephantRescue जैसे हैशटैग के साथ उसकी तस्वीरें और वीडियो साझा किए जाते हैं।
क्या सीख मिलती है राजू से?
राजू की ज़िंदगी हमें सिखाती है कि:
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करुणा केवल इंसानों के लिए नहीं होती
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हर प्राणी को जीने का हक़ है
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दु:ख चाहे जितना हो, आशा हमेशा संभव है
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निष्कर्ष
राजू हाथी की 11वीं आज़ादी की वर्षगांठ केवल एक जानवर के जीवन का उत्सव नहीं है, यह एक आंदोलन का प्रतीक है। यह हमें याद दिलाता है कि अगर हम एक जानवर की ज़िंदगी को बचा सकते हैं, तो हम पूरी दुनिया को और दयालु बना सकते हैं।
इस अवसर पर हमें यह प्रण लेना चाहिए कि हम अपने चारों ओर के वन्यजीवों की रक्षा, अवैध शोषण के खिलाफ आवाज, और संवेदनशीलता भरे व्यवहार को अपनाएंगे। राजू की मुस्कान में छुपी है वह शक्ति, जो एक बेहतर और करुणामय भारत की नींव रखती है।
साभार सहित-
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