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सांसद राजकुमार चाहर की चंबल सेंचुरी सीमा घटाने की मांग

चंबल सेंचुरी सीमा, सांसद राजकुमार चाहर

सांसद राजकुमार चाहर ने संसद में उठाई चंबल सेंचुरी सीमा निर्धारण की मांग, किसानों और विकास कार्यों पर रोक का मुद्दा गरमाया

 

एस. शेरवानी (ब्यूरो चीफ़) –

आगरा, 12 अगस्त 2025

फतेहपुर सीकरी के सांसद एवं भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजकुमार चाहर ने लोकसभा में नियम 377 के तहत बाह विधानसभा क्षेत्र में चंबल सेंचुरी की सीमा निर्धारण का मुद्दा जोर-शोर से उठाया।

सांसद चाहर ने सदन को अवगत कराया कि वर्तमान में बाह क्षेत्र में चंबल सेंचुरी की सीमा कहीं 4 किलोमीटर, कहीं 8 किलोमीटर और कहीं 12 किलोमीटर तक फैली हुई है, जबकि मध्य प्रदेश और राजस्थान में यही सीमा मात्र 500 मीटर है। इस असमानता के कारण बाह क्षेत्र का विकास पिछले कई दशकों से ठप पड़ा है और किसानों से लेकर आम नागरिक तक बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं।

चंबल सेंचुरी सीमा असमानता – बाह क्षेत्र की बड़ी समस्या

बाह विधानसभा क्षेत्र में चंबल नदी के आसपास का इलाका राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी के अंतर्गत आता है, जिसका उद्देश्य घड़ियाल, डॉल्फिन और अन्य दुर्लभ वन्यजीवों का संरक्षण है। लेकिन यहां सेंचुरी की सीमा उत्तर प्रदेश में बेहद विस्तृत रखी गई है – कई जगह यह नदी से 12 किलोमीटर तक फैली हुई है।

इसके विपरीत, पड़ोसी राज्यों मध्य प्रदेश और राजस्थान में यह सीमा केवल 500 मीटर तक सीमित है।
इससे बाह क्षेत्र के हजारों किसान और ग्रामीण अपनी ही जमीन पर न खेती कर पा रहे हैं, न ही कोई निर्माण कार्य।

http://सांसद राजकुमार चाहर का चम्बल क्षेत्रों का निरीक्षण

विकास कार्यों पर रोक – सड़क, स्कूल, अस्पताल सब प्रभावित

सांसद चाहर ने सदन में कहा कि इस असमान सीमा निर्धारण का असर केवल खेती तक सीमित नहीं है।

  • सड़क निर्माण परियोजनाएं वर्षों से अटकी पड़ी हैं

  • विद्यालय और कॉलेज खोलने में अड़चनें

  • चिकित्सालय और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के निर्माण पर रोक

  • उद्योग और रोजगार के अवसर न के बराबर

  • किसानों की भूमि का सही उपयोग न हो पाना

उन्होंने जोर देकर कहा कि बाह क्षेत्र के कई बड़े गांव आज भी सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं, जिसका सीधा असर ग्रामीणों के जीवन स्तर पर पड़ रहा है।

किसानों की स्थिति – अपनी जमीन पर भी नहीं कर पा रहे खेती

चंबल सेंचुरी के विस्तृत क्षेत्र में आने वाले किसान अपनी जमीन पर स्वतंत्र रूप से खेती नहीं कर सकते।
वन्यजीव संरक्षण कानून के तहत कई फसलों की बुआई और कृषि संबंधी गतिविधियां प्रतिबंधित हैं।

सांसद ने बताया कि कई किसानों के पास जमीन तो है, लेकिन उस पर न खेती हो पा रही है, न कोई अन्य वैकल्पिक उपयोग, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बद से बदतर हो गई है।

सांसद चाहर की मांग – सीमा घटाकर 500 मीटर की जाए

राजकुमार चाहर ने संसद में मांग रखी कि उत्तर प्रदेश में भी चंबल सेंचुरी की सीमा चंबल नदी के मध्य से दोनों ओर अधिकतम 500 मीटर तक सीमित की जाए।

इससे:

  • किसानों को अपनी जमीन पर खेती की स्वतंत्रता मिलेगी

  • विकास परियोजनाओं को गति मिलेगी

  • बुनियादी सुविधाओं का विस्तार संभव होगा

  • क्षेत्र में रोजगार और उद्योग के अवसर बढ़ेंगे

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से हुई चर्चा

सांसद ने बताया कि इस मुद्दे पर उनकी केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से भी चर्चा हुई है।
मंत्री ने शीघ्र समाधान का आश्वासन दिया है और संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी कर दिए हैं।

यह संकेत है कि आने वाले समय में बाह क्षेत्र के लिए कोई सकारात्मक निर्णय लिया जा सकता है।

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स्थानीय जनता की प्रतिक्रिया

इस मुद्दे के उठने के बाद बाह और आसपास के गांवों में राहत की उम्मीद जगी है।
कई किसानों का कहना है कि अगर सीमा घटाई जाती है तो उनकी आर्थिक स्थिति में बड़ा सुधार होगा।

स्थानीय विकास समितियों और किसान संगठनों ने भी सांसद चाहर के प्रयास की सराहना की है।
उनका कहना है कि यह सिर्फ एक सीमा निर्धारण का मामला नहीं है, बल्कि यह पूरे क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक पुनर्निर्माण का रास्ता खोल सकता है।

वन्यजीव संरक्षण और विकास में संतुलन की जरूरत

सांसद चाहर ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी मांग वन्यजीव संरक्षण के खिलाफ नहीं है।
उनका कहना है कि 500 मीटर की सीमा भी पर्याप्त होगी, जिससे चंबल नदी और उसके आस-पास के वन्यजीव सुरक्षित रहेंगे, साथ ही इंसानी बस्तियों और कृषि भूमि पर अनावश्यक प्रतिबंध नहीं रहेगा।

उन्होंने कहा –
“हमें विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाना होगा। हमारे किसान और ग्रामीण भी देश के नागरिक हैं, उन्हें भी विकास का अधिकार है।”

आगे की राह – संसद से समाधान तक

अब यह मुद्दा केंद्र सरकार के स्तर पर विचाराधीन है।
अगर सीमा घटाने का प्रस्ताव मंजूर होता है, तो बाह क्षेत्र में:

  • सड़क, पुल और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को हरी झंडी मिलेगी

  • शैक्षिक संस्थानों की स्थापना होगी

  • स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार होगा

  • औद्योगिक निवेश की संभावना बढ़ेगी

निष्कर्ष

सांसद राजकुमार चाहर द्वारा लोकसभा में उठाया गया यह मुद्दा केवल एक तकनीकी सीमा निर्धारण का नहीं, बल्कि किसानों के अधिकार, ग्रामीण विकास और आर्थिक समानता से जुड़ा है।
अगर चंबल सेंचुरी की सीमा 500 मीटर कर दी जाती है, तो यह बाह क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक बदलाव साबित हो सकता है।

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