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मिलेट्स पुनरुद्धार अभियान: खेरागढ़ में किसानों को बांटी गई रागी मिनी किट

खेरागढ़ में रागी मिनी किट का हुआ वितरण, कृषि अधिकारियों ने मिलेट्स के महत्व पर डाला प्रकाश

उत्तर प्रदेश मिलेटस पुनरुद्वार कार्यक्रम के तहत कृषकों को निःशुल्क मिनी किटों का वितरण किया

एस. शेरवानी (ब्यूरो चीफ़) –

खेरागढ़/आगरा। 19 जुलाई 2025

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मिलेट्स (मोटे अनाज) के पुनरुद्धार के लिए चलाई जा रही विशेष योजना के अंतर्गत आज खेरागढ़ के राजकीय कृषि बीज भंडार पर किसानों को रागी की मिनी किट निशुल्क वितरित की गई। इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को मोटे अनाजों की खेती के लिए प्रेरित करना तथा पोषण और आर्थिक दृष्टिकोण से उनके जीवन को सशक्त बनाना है।

कार्यक्रम के दौरान सांसद प्रतिनिधि महेंद्र सिंह चाहर, संयुक्त कृषि निदेशक आगरा मंडल संतोष कुमार सविता, उपनिदेशक कृषि रक्षा राजेश कुमार, सलाहकार सलीम अली खां, तकनीकी सहायक सच्चिदानंद दुबे, सहायक विकास अधिकारी कृषि रक्षा टिंकू शर्मा, राजकीय कृषि बीज भंडार प्रभारी सुधाकर सिंह, विषय वस्तु विशेषज्ञ दिनेश अग्रवाल, एफपीओ प्रतिनिधि जोरावर सिंह, मेघ सिंह तथा बीटीएम राहुल गुप्ता मौजूद रहे।

मोटे अनाज (Millets) की बढ़ती उपयोगिता: स्वास्थ्य और आय का साधन

संयुक्त कृषि निदेशक श्री संतोष कुमार सविता ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान में बढ़ती जीवनशैली जनित बीमारियों से लड़ने के लिए मोटे अनाज जैसे रागी, बाजरा, कोदो, सांवा आदि अत्यंत उपयोगी हैं। उन्होंने बताया कि इन फसलों में पोषक तत्व जैसे कैल्शियम, आयरन, फाइबर और प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है जो न केवल किसानों की सेहत को बेहतर बनाएगी, बल्कि बाजार में इनकी मांग के कारण उनकी आमदनी में भी वृद्धि होगी।

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कृषि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मोटे अनाजों की खेती

उपनिदेशक कृषि रक्षा श्री राजेश कुमार ने मोटे अनाजों में लगने वाले प्रमुख रोगों और कीटों की जानकारी देते हुए कहा कि इन फसलों पर अत्यधिक रासायनिक कीटनाशकों की आवश्यकता नहीं होती, जिससे जैविक खेती को भी बढ़ावा मिलता है। उन्होंने किसानों को जैविक उपायों से कीट नियंत्रण के तरीके भी बताए और उन्हें प्रोत्साहित किया कि वे पारंपरिक कृषि प्रणाली से हटकर मोटे अनाजों की खेती को अपनाएं।

रागी मिनी किट वितरण: आत्मनिर्भर किसान की दिशा में कदम

राजकीय कृषि बीज भंडार खेरागढ़ पर रागी की मिनी किट का वितरण किसानों में विशेष उत्साह का कारण बना। वितरण के दौरान सलीम अली खां द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बताया गया कि प्रत्येक किट में उच्च गुणवत्ता की बीज सामग्री दी गई है, जो एक एकड़ भूमि पर बुवाई के लिए पर्याप्त है।

किसानों ने बताया कि अब तक वे रागी की खेती से अनभिज्ञ थे, लेकिन विभागीय मार्गदर्शन व बीज वितरण से वे पहली बार मोटे अनाज की खेती को आजमाने जा रहे हैं। यह पहल न केवल मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक होगी, बल्कि जल संकट की समस्या से भी निपटने में मददगार साबित होगी, क्योंकि रागी जैसी फसलें कम पानी में भी अच्छी उपज देती हैं।

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सरकारी योजनाओं की जानकारी और तकनीकी मार्गदर्शन भी हुआ साझा

कार्यक्रम के दौरान किसानों को विभिन्न सरकारी योजनाओं जैसे ‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना’, ‘परम्परागत कृषि विकास योजना’, ‘एकीकृत पोषक कृषि प्रणाली’ के तहत मिलने वाले लाभों की जानकारी भी दी गई। साथ ही, फसल बीमा, किसान क्रेडिट कार्ड, ई-नाम पोर्टल से जुड़ने के लाभ, मृदा स्वास्थ्य कार्ड और ट्रैक्टर अनुदान की प्रक्रियाएं भी समझाई गईं।

तकनीकी सहायक सच्चिदानंद दुबे और विकास अधिकारी अजय कुमार ने किसानों के सवालों का उत्तर देकर उन्हें भरोसा दिलाया कि विभागीय स्तर पर हर प्रकार की मदद उपलब्ध कराई जाएगी। बीटीएम राहुल गुप्ता ने एफपीओ (कृषक उत्पादक संगठन) के माध्यम से रागी के विपणन की संभावनाओं पर भी चर्चा की।

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साक्षात्कार: किसानों की प्रतिक्रिया

खेरागढ़ ब्लॉक के किसान रामकिशन यादव ने कहा,
“पहली बार रागी की किट मिली है। इसे बोकर हम देखेंगे कि उत्पादन कैसा होता है। बाजार मिले तो आगे से हम मोटे अनाजों की खेती नियमित रूप से करेंगे।”

कृषक महिला उर्मिला देवी ने कहा,
“हमने टीवी में देखा था कि मोटा अनाज सेहत के लिए अच्छा होता है। अब जब सरकार खुद बीज दे रही है, तो हमें भी इसे अपनाना चाहिए।”

खेरागढ़ को मॉडल ब्लॉक बनाने की दिशा में प्रयास

संयुक्त कृषि निदेशक ने कार्यक्रम के अंत में यह भी संकेत दिया कि यदि खेरागढ़ क्षेत्र में मोटे अनाजों की खेती में सकारात्मक परिणाम आते हैं, तो इसे ‘मिलेट्स मॉडल ब्लॉक’ घोषित किया जा सकता है। इससे भविष्य में अन्य योजनाएं और संसाधन इस क्षेत्र को प्राथमिकता पर उपलब्ध कराए जाएंगे।

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निष्कर्ष: पोषण, पर्यावरण और आय का त्रिस्तरीय लाभ

यह कार्यक्रम न केवल किसानों को पोषण व कृषि नवाचार के प्रति जागरूक करने का माध्यम बना, बल्कि सरकार की उस नीति का भी हिस्सा रहा, जिसका उद्देश्य है—किसानों को आत्मनिर्भर बनाना, पर्यावरण को सुरक्षित रखना और पोषण सुरक्षा को मजबूत करना।

राजकीय कृषि बीज भंडार खेरागढ़ में आयोजित रागी मिनी किट वितरण कार्यक्रम ने एक मजबूत संदेश दिया कि अब खेती का भविष्य मोटे अनाजों से जुड़ा है, और इसके लिए प्रशासनिक व तकनीकी स्तर पर सभी संभव प्रयास किए जा रहे हैं।

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