किरावली में केंद्रीय विद्यालय की मांग सांसद चाहर ने उठाई
किरावली, केंद्रीय विद्यालय की मांग, सांसद राजकुमार चाहर

किरावली में केंद्रीय विद्यालय की मांग संसद में गूंजी: सांसद राजकुमार चाहर ने उठाया शिक्षा का मुद्दा
एस. शेरवानी (ब्यूरो चीफ़)-
आगरा, 07 अगस्त 2025
देश के विकास की बुनियाद शिक्षा है, और जब बात पिछड़े व ग्रामीण क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की आती है, तो केंद्रीय विद्यालयों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। इसी दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए फतेहपुर सीकरी लोकसभा सांसद श्री राजकुमार चाहर ने भारतीय संसद के लोकसभा सदन में नियम 377 के अंतर्गत अपने क्षेत्र की एक बड़ी शैक्षणिक आवश्यकता को प्रभावशाली रूप से उठाया।
क्या है मुद्दा?
सांसद राजकुमार चाहर ने संसद में केंद्र सरकार से मांग की कि तहसील किरावली के अंतर्गत ग्राम पुरामना में केंद्रीय विद्यालय की स्थापना की जाए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह न केवल क्षेत्र की जरूरत है, बल्कि सैकड़ों सरकारी कर्मचारियों और आम नागरिकों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम भी होगा।
किरावली तहसील: एक नजर
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फतेहपुर सीकरी संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली किरावली तहसील आगरा जिले का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है।
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इस क्षेत्र में रेलवे, डाक विभाग, सैन्य बलों, अर्धसैनिक बलों और अन्य केंद्रीय संस्थानों में कार्यरत लोगों की संख्या काफी अधिक है।
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बावजूद इसके, अभी तक इस क्षेत्र में कोई भी केंद्रीय विद्यालय (Kendriya Vidyalaya) स्थापित नहीं किया गया है।
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इससे क्षेत्र के छात्र-छात्राएं गुणवत्ता युक्त, सस्ती और समान शिक्षा के अवसरों से वंचित हैं।
क्यों चुना गया ग्राम पुरामना?
सांसद चाहर ने ग्राम पुरामना को केंद्रीय विद्यालय के लिए उपयुक्त स्थल बताते हुए इसके कई भौगोलिक और सुविधाजनक पहलुओं को रेखांकित किया:
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यह ग्राम किरावली तहसील मुख्यालय से मात्र 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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फतेहपुर सीकरी, अछनेरा जंक्शन तथा अन्य प्रमुख रेलवे स्टेशनों से सीधा और सुगम संपर्क है।
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विद्यालय हेतु उपयुक्त भूमि पहले से ही उपलब्ध है, जिससे निर्माण प्रक्रिया शीघ्र प्रारंभ की जा सकती है।
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ग्रामीण एवं शहरी, दोनों वर्गों के छात्रों के लिए विद्यालय आसानी से सुलभ रहेगा।
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केंद्रीय विद्यालय क्यों है जरूरी?
केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS) द्वारा संचालित स्कूल देशभर में अपनी उच्च शैक्षणिक गुणवत्ता, अनुशासनात्मक वातावरण और राष्ट्रीय स्तर की शिक्षण प्रणाली के लिए जाने जाते हैं। किरावली क्षेत्र के लिए यह विद्यालय:
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शैक्षिक पिछड़ेपन को दूर करने में सहायक होगा।
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सरकारी एवं केंद्रीय कर्मचारियों के बच्चों को उनके अधिकार के अनुरूप शिक्षा प्रदान करेगा।
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ग्राम व कस्बों के मेधावी छात्रों को बड़े शहरों की ओर पलायन से रोकेगा।
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स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी उत्पन्न करेगा।
संसद में गूंजा शिक्षा का स्वर
सांसद चाहर ने नियम 377 के तहत केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा:
“मेरे संसदीय क्षेत्र की 6 तहसीलों में आज तक एक भी केंद्रीय विद्यालय नहीं है। रेलवे, रक्षा, डाक और अन्य केंद्र सरकार से जुड़े संस्थानों में काम करने वालों के बच्चे आज भी शिक्षा के बुनियादी अधिकार से वंचित हैं। पुरामना गांव में पर्याप्त भूमि और यातायात की समुचित सुविधा है, अतः केंद्रीय विद्यालय की स्थापना शीघ्र होनी चाहिए।”
संभावित सामाजिक और शैक्षिक प्रभाव
यदि किरावली में केंद्रीय विद्यालय की स्थापना होती है, तो यह:
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हजारों छात्रों की शैक्षिक प्रगति का आधार बनेगा।
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स्थानीय समुदाय में सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन लाएगा।
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प्रवासी और कामकाजी परिवारों को बच्चों की शिक्षा को लेकर मानसिक राहत देगा।
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क्षेत्रीय विकास में शिक्षा के माध्यम से सशक्तिकरण की नई लहर शुरू करेगा।
आगे की राह
सांसद चाहर की यह पहल अब केंद्र सरकार के पाले में है। यदि सरकार जमीनी हकीकत को ध्यान में रखते हुए त्वरित निर्णय लेती है, तो किरावली ही नहीं, पूरा आगरा मंडल शिक्षा के क्षेत्र में एक नई दिशा की ओर अग्रसर हो सकता है। यह फैसला सिर्फ एक स्कूल की स्थापना नहीं, बल्कि एक पूरे क्षेत्र की किस्मत बदलने का अवसर बन सकता है।
निष्कर्ष
किरावली तहसील और विशेष रूप से पुरामना गांव में केंद्रीय विद्यालय की स्थापना की यह मांग एक सोच, एक दृष्टिकोण और एक परिवर्तन की पहल है। सांसद राजकुमार चाहर द्वारा संसद में यह विषय उठाना इस बात का प्रमाण है कि यदि जनप्रतिनिधि जमीनी समस्याओं को ईमानदारी से समझें, तो शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास के क्षेत्र में बड़ा बदलाव संभव है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि केंद्र सरकार इस मांग पर कब और कैसे सकारात्मक प्रतिक्रिया देती है, और क्षेत्र के बच्चों को उनका शिक्षा का अधिकार कब मिल पाता है।
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