
🌍एस. शेरवानी (ब्यूरो चीफ)-
खेरागढ़/आगरा। भारतीय सविधान के रचयिता भारतरत्न असहायों के भाग्यविधाता परमपूजनीय डॉ0 भीमराव अंबेडकर को देश विदेश व अन्य क्षेत्रोँ सहित दलितों की राजधानी आगरा में समाजसेवी व नेताओं ने गुरुवार को 134 वीं जयंती के शुभ अवसर पर हृदय से हार्दिक श्रद्धासुमन अर्पित कर शुभकामनाएं देकर महान आत्मा को कोटि कोटि प्रणाम व श्रद्धापूर्वक नमन किया। भारतीय संविधान के निर्माता भीमराव अंबेडकर की जयंती पर समाजसेवी (पत्रकार) सलीम शेरवानी ने कहा कि बाबा साहेब ने घरेलू व आर्थिक परेशानियों के बाद भी अपना सम्पूर्ण जीवन शिक्षा, ज्ञान और असहाय लोगो को अर्पित किया। विदेशों में अंग्रेज बाबा साहेब को सिम्बल ऑफ़ नॉलेज के नाम से भी जाने जाते हैं। सामाजिक समता और सामाजिक न्याय जैसे सामाजिक परिवर्तन के मुद्दों को प्रमुखता से स्वर देने और परिणाम तक लाने वाले प्रमुख लोगों में डॉ0 भीमराव आंबेडकर का नाम अग्रणी है। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन ऊंच-नीच, भेदभाव, छुआछूत के उन्मूलन जैसे कार्यो के लिए समर्पित कर दिया। उनकी मृत्यु के 4 दशक बाद उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। बाबा साहेब डॉक्टर भीम राव अंबेडकर की जन्म जयंती पर, हम भारत के लोगों की तरफ से अपनी सामूहिक शक्ति का ये प्रदर्शन,ये संकल्प, उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है। मैं बाबासाहेब डॉ0 भीमराव अंबेडकर जयंती के अवसर पर कोटी-कोटी नमन करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। बाबा साहेब अंबेडकर जी के ही प्रयासों का प्ररिणाम है न केवल भारत में बल्कि पूरे दुनिया में सामाजिक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठी। आज देश के करोड़ो दलितों, आदिवासियों, पिछड़ो और दूसरे उपेक्षित वर्गों के मसीहा और संविधान के निमार्ता डॉ0 बी.आर. अंबेडकर जी की 134 वीं जयंती है। सिम्बल ऑफ नॉलेज ने वर्षों पूर्व में कहा था कि महान आदमी एक आम आदमी से इस तरह से अलग है कि वह समाज का सेवक बनने को तैयार रहता है। ऐसे महान विचारों के धनी थे बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर, जिन्होंने समाज मे फैली जातपात छुआछूत के ख़िलाफ़ जीवन भर संघष किया।और दलित पिछड़े आदिवाशी व असहायों के हितों को ध्यान में रखते हुए ग्रेजुएट बनों, संगठित रहो, संघर्ष करो का नारा दिया। बाबा साहब के चिंतन और विचारों में देश सबसे ऊपर हैं। एक दूसरे के साथ भाईचारे से रहे तभी देश की तरक्की हो सकती है। शिक्षा हर व्यक्ति के जीवन का महत्वपूर्ण आधार होना चाहिए। बाबा साहेब का संघर्ष सम्पूर्ण विश्व के लोगों के लिए एक मिसाल हैं। बाबा साहब के चिंतन और विचारों में देश सबसे ऊपर हैं। हम कभी भी बाबा साहब के त्याग और बलिदान को भुला नहीं सकते।