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कारगिल विजय दिवस 2025: खेरागढ़ स्कूल में गूंजा देशभक्ति का जोश

कारगिल विजय दिवस, खेरागढ़ स्कूल

कारगिल विजय दिवस 2025: खेरागढ़ के कछपुरा, सरेंडा प्राथमिक विद्यालय में देशभक्ति की गूंज, शहीदों को दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि

एस. शेरवानी (ब्यूरो चीफ़) –

खेरागढ़/आगरा | 26 जुलाई 2025

“शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले”, और “वतन पे मर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा”—ऐसी ही ओजपूर्ण पंक्तियों के बीच ब्लॉक खेरागढ़ के प्राथमिक विद्यालय कछपुरा सरेंडा में कारगिल विजय दिवस 2025 को गर्व, श्रद्धा और देशभक्ति के साथ मनाया गया।

विद्यालय परिसर में आयोजित यह विशेष कार्यक्रम न केवल शहीदों के बलिदान को नमन करने का माध्यम बना, बल्कि बच्चों के दिलों में राष्ट्रप्रेम की अलख भी जगाई। शिक्षकों और छात्रों की सक्रिय सहभागिता ने इस आयोजन को जीवंत और प्रभावशाली बना दिया।

कारगिल विजय दिवस का महत्व: बच्चों को बताया गया गौरवशाली इतिहास

कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय के शिक्षक डॉ. सतीश कुमार ने कारगिल युद्ध और उसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से बच्चों को अवगत कराते हुए की। उन्होंने बताया कि वर्ष 1999 में पाकिस्तान द्वारा की गई घुसपैठ के जवाब में भारत ने वीरता का परिचय देते हुए 60 दिनों तक चले युद्ध में 26 जुलाई को विजय प्राप्त की थी। इसी जीत की स्मृति में हर साल 26 जुलाई को ‘कारगिल विजय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

डॉ. कुमार ने बच्चों को सरल भाषा में समझाया कि कैसे देश के जवानों ने – बर्फीली चोटियों पर, विषम परिस्थितियों में, सीमित संसाधनों के साथ भी दुश्मन को धूल चटाई। उन्होंने यह भी बताया कि कारगिल युद्ध भारतीय सेना की रणनीति, पराक्रम और राष्ट्रभक्ति का प्रतीक है, जो हर भारतवासी को गौरवान्वित करता है।

“माँ भारती के सच्चे सपूतों को नमन” 

इस अवसर पर शिक्षक डॉ० सतीष कुमार ने शहीदों के बलिदान को याद करते हुए कहा,

“यह दिन सिर्फ एक तारीख नहीं है, बल्कि हमारे उन जवानों को समर्पित श्रद्धांजलि है, जिन्होंने अपने प्राण न्योछावर कर भारत माता की रक्षा की।”

उन्होंने कहा कि यह ज़रूरी है कि नई पीढ़ी को हमारे उन वीर सपूतों की गाथाएं सुनाई जाएं जिन्होंने हमारे ‘आज’ के लिए अपना ‘कल’ कुर्बान कर दिया।

देशभक्ति के नारों से गूंज उठा विद्यालय परिसर

कार्यक्रम के दौरान विद्यालय का वातावरण “भारत माता की जय”, “वंदे मातरम्” और “शहीदों अमर रहें” जैसे नारों से गूंज उठा। बच्चों ने पूरे जोश के साथ भाग लिया। देशभक्ति गीतों पर समूह गायन किया गया, जिसमें “संदेशे आते हैं” और “ऐ वतन, ऐ वतन हमको तेरी कसम” जैसे गीतों ने सबकी आंखें नम कर दीं।

बच्चों ने पोस्टर बनाकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और कक्षा स्तर पर कारगिल विजय दिवस पर आधारित निबंध प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। इससे बच्चों को न सिर्फ जानकारी मिली, बल्कि उनमें भावनात्मक जुड़ाव और जिम्मेदारी की भावना भी विकसित हुई।

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सामूहिक मौन और श्रद्धा सुमन अर्पण

विद्यालय स्टाफ और छात्र-छात्राओं ने 2 मिनट का मौन रखकर कारगिल के शहीदों को श्रद्धांजलि दी। तत्पश्चात विद्यालय प्रांगण में स्थापित तिरंगे के नीचे दीप प्रज्वलन कर पुष्प अर्पित किए गए। यह दृश्य अत्यंत भावुक और प्रेरणादायक था। इस पल ने सभी उपस्थित लोगों को यह एहसास कराया कि देश की रक्षा में बलिदान देने वाले अमर हैं।

बच्चों को सिखाई गई राष्ट्र सेवा की भावना

प्रधानाध्यापक ने कारगिल विजय दिवस के इस मौके पर बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि

“शहीदों की गाथा पढ़कर ही नहीं, उनके मूल्यों को आत्मसात करके ही हम सच्चे भारतवासी बन सकते हैं। कारगिल विजय दिवस न केवल एक सैन्य विजय का प्रतीक है, बल्कि यह उस संकल्प, त्याग और अदम्य साहस की याद है, जो हमारे सैनिकों ने दिखाया।”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि शिक्षा केवल किताबी ज्ञान नहीं है, बल्कि देशप्रेम, कर्तव्य और चरित्र निर्माण भी इसका महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने सभी बच्चों से आह्वान किया कि वे अपने जीवन में सत्यनिष्ठा, अनुशासन और निष्ठा जैसे गुणों को अपनाएं, जो कि भारतीय सेना का मूल है।

मिठाई वितरण और सामूहिक राष्ट्रगान से हुआ समापन

कार्यक्रम के अंत में प्रधानाध्यापक द्वारा सभी बच्चों को मिठाई वितरित की गई। विद्यालय परिसर में सामूहिक रूप से राष्ट्रगान “जन गण मन” का गायन किया गया, जिससे पूरा वातावरण एक बार फिर देशभक्ति के रंग में रंग गया। उपस्थित शिक्षकों, छात्रों और अभिभावकों ने कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए इसे अत्यंत प्रेरक और शैक्षिक बताया।

कारगिल विजय दिवस 2025

निष्कर्ष: देशप्रेम की नींव मजबूत करता ऐसा आयोजन

कारगिल विजय दिवस 2025 पर प्राथमिक विद्यालय खेरागढ़ के इस आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया कि देशभक्ति केवल सीमाओं पर लड़ने से नहीं, बल्कि नयी पीढ़ी को जागरूक बनाने से भी आती है। बच्चों के मन में जो ऊर्जा, उत्साह और राष्ट्रप्रेम देखने को मिला, वह इस बात का संकेत है कि यदि हमें एक मजबूत भारत बनाना है, तो हमें अपने बच्चों में सामाजिक और नैतिक मूल्यों का बीजारोपण करना होगा।

यह आयोजन केवल एक स्मरण नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को कर्तव्य, बलिदान और वीरता का पाठ पढ़ाने का एक माध्यम बना। इस कार्यक्रम ने सिखाया कि शहीदों की स्मृति को जीवित रखना हर नागरिक का कर्तव्य है, और विद्यालय जैसे संस्थानों की भूमिका इसमें महत्वपूर्ण है।

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