निर्वाचन आयोग की बड़ी कार्रवाई, पार्टियों को नोटिस
14 जुलाई तक दे सकेंगी जवाब, नहीं तो हो सकता है पंजीकरण रद्द

03 पंजीकृत राजनैतिक दलों की होगी मान्यता समाप्त, चुनाव आयोग ने कारण बताओ नोटिस किया जारी
आगरा।
एस. शेरवानी (ब्यूरो चीफ़) –
भारतीय निर्वाचन आयोग ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए उत्तर प्रदेश के तीन पंजीकृत लेकिन अमान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के विरुद्ध कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इन दलों पर आरोप है कि इन्होंने वर्ष 2019 से 2024 के मध्य आयोजित किसी भी निर्वाचन में भाग नहीं लिया है। यह सूचना जिलाधिकारी एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री अरविन्द मल्लप्पा बंगारी द्वारा सार्वजनिक की गई।
इन तीन राजनीतिक दलों में शामिल हैं:
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ब्रज विकास पार्टी, पता – ए-193, ट्रांस यमुना कॉलोनी, फेस-2, आगरा-286002
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भारत कल्याण पार्टी, पता – ग्राम मेवली, तहसील खेरागढ़, जनपद आगरा-283115
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लोकतान्त्रिक युवा शक्ति पार्टी, पता – नं0-5, एचआईजी-160, 100 फीट रोड, नेहरू एनक्लेव, आगरा-282001
निर्वाचन आयोग की कार्रवाई का कारण
भारतीय निर्वाचन आयोग ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के अंतर्गत इन दलों को पंजीकृत किया था, लेकिन बीते छह वर्षों में एक भी चुनाव में भागीदारी न करने की स्थिति में इन्हें राजनीतिक दलों की सूची से हटाने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है।
क्या है धारा 29ए?
धारा 29ए के अंतर्गत पंजीकृत कोई भी राजनीतिक दल यदि लंबे समय तक निष्क्रिय रहता है या चुनावी प्रक्रिया में भाग नहीं लेता, तो उसका पंजीकरण निरस्त किया जा सकता है। यह प्रावधान निर्वाचन प्रणाली की पारदर्शिता और सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए रखा गया है।
जारी हुआ कारण बताओ नोटिस
उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी के माध्यम से उपरोक्त तीनों दलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। यह नोटिस रजिस्टर्ड डाक के माध्यम से संबंधित दलों के पंजीकृत पते पर भेजा गया है। यह नोटिस इस आधार पर दिया गया है कि उक्त राजनीतिक दलों ने वर्ष 2019 से 2024 के बीच किसी भी लोकसभा, विधानसभा, या अन्य निर्वाचन में भाग नहीं लिया है।
प्रत्यावेदन और हलफनामा देने की अंतिम तिथि 14 जुलाई 2025
निर्वाचन आयोग ने इन दलों को निर्देशित किया है कि वे अपने अध्यक्ष या महासचिव के माध्यम से 14 जुलाई 2025 तक अपना प्रत्यावेदन, हलफनामा तथा सुसंगत अभिलेखों के साथ कार्यालय मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तर प्रदेश, लखनऊ को लिखित रूप में उपलब्ध कराएं।
पता:
मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उ०प्र०
चतुर्थ तल, विकास भवन, जनपथ मार्केट, लखनऊ-226001
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सुनवाई की तिथि निर्धारित – 21 जुलाई 2025
यदि किसी दल को अपने पक्ष में कुछ कहना है, तो वह 21 जुलाई 2025 को स्वयं मुख्य निर्वाचन अधिकारी के समक्ष उपस्थित होकर अपना पक्ष रख सकता है। सुनवाई के बाद ही यह तय किया जाएगा कि संबंधित दल को राजनीतिक दल की सूची में बनाए रखा जाएगा या नहीं।
क्या होगा अगर प्रत्यावेदन नहीं दिया गया?
निर्वाचन आयोग द्वारा स्पष्ट किया गया है कि यदि संबंधित राजनीतिक दल 14 जुलाई तक अपना प्रत्यावेदन प्रस्तुत नहीं करते, तो यह माना जाएगा कि उन्हें इस विषय में कुछ नहीं कहना है। इसके पश्चात मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तर प्रदेश की ओर से संबंधित दलों को पंजीकृत दलों की सूची से हटाने की संस्तुति सहित प्रस्ताव भारतीय निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली को भेजा जाएगा।
जिलाधिकारी का बयान
जिलाधिकारी अरविन्द मल्लप्पा बंगारी ने इस कार्रवाई की जानकारी देते हुए कहा:
“यह निर्णय भारत निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार लिया गया है। लोकतंत्र में सक्रिय भागीदारी ही किसी भी राजनीतिक दल की पहचान होती है। यदि कोई दल वर्षों तक निष्क्रिय रहता है, तो उसका पंजीकरण बनाए रखना उचित नहीं है।”
निष्क्रिय पार्टियों के लिए चेतावनी
इस कार्रवाई से स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि भारतीय निर्वाचन आयोग अब निष्क्रिय दलों के विरुद्ध कड़ा रुख अपना रहा है। इससे पहले भी आयोग द्वारा ऐसे कई राजनीतिक दलों के पंजीकरण निरस्त किए जा चुके हैं, जो वर्षों से केवल कागजों पर मौजूद थे।
क्या इससे अन्य दलों को भी सबक मिलेगा?
यह कार्रवाई अन्य पंजीकृत राजनीतिक दलों के लिए भी एक चेतावनी के रूप में देखी जा रही है। जो दल सक्रिय रूप से चुनावों में हिस्सा नहीं ले रहे हैं या राजनीतिक गतिविधियां नहीं चला रहे हैं, उन्हें भी अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी या वे भी पंजीकरण रद्द होने की प्रक्रिया में आ सकते हैं।
निष्कर्ष: लोकतंत्र में भागीदारी अनिवार्य
भारतीय लोकतंत्र की मजबूती के लिए जरूरी है कि राजनीतिक दल चुनावी प्रक्रिया में सक्रिय भाग लें और जनहित से जुड़े मुद्दों पर कार्य करें। पंजीकरण केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि जवाबदेही और जिम्मेदारी का प्रतीक होता है। जो दल इस जिम्मेदारी को निभाने में असफल रहते हैं, उनके विरुद्ध ऐसी कार्रवाइयां आवश्यक हैं।