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डायट आगरा निरीक्षण में निपुण बच्चे सम्मानित, श्रेष्ठा परीक्षा पर मार्गदर्शन

डायट प्रवक्ता द्वारा कंपोजिट विद्यालय का किया गया सुपरवीज़न: बच्चों को किया सम्मानित

डायट आगरा प्रवक्ता डॉ. मनोज वार्ष्णेय ने श्यामादेवी कंपोजिट व मंडी सईद खां प्राथमिक विद्यालय का निरीक्षण किया, निपुण बच्चों को बैज पहनाकर किया सम्मानित

आगरा, 11 जुलाई 2025

एस. शेरवानी (ब्यूरो चीफ़) –

आगरा जनपद में स्थित परिषदीय विद्यालयों की शैक्षिक गुणवत्ता को और अधिक सुदृढ़ बनाने तथा निपुण भारत मिशन के लक्ष्यों की पूर्ति हेतु डायट आगरा के प्रवक्ता डॉ. मनोज वार्ष्णेय द्वारा शुक्रवार को कंपोजिट विद्यालय श्यामादेवी एवं प्राथमिक विद्यालय मंडी सईद खां का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने न केवल शैक्षिक गतिविधियों का अवलोकन किया, बल्कि छात्रों, प्रशिक्षुओं और शिक्षकों से सीधे संवाद कर नवाचारों को प्रोत्साहित किया।

श्रेष्ठा परीक्षा की तैयारी पर बच्चों को किया जागरूक

निरीक्षण के दौरान कक्षा 8 के बच्चों को राष्ट्रीय आय आधारित श्रेष्ठा परीक्षा के महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। डॉ. मनोज वार्ष्णेय ने बच्चों को बताया कि यह परीक्षा सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के मेधावी छात्रों के लिए एक स्वर्णिम अवसर है, जिससे उन्हें देश के उत्कृष्ट विद्यालयों में निःशुल्क शिक्षा प्राप्त हो सकती है।

उन्होंने बच्चों को श्रेष्ठा परीक्षा की तैयारी के लिए नियमित अध्ययन, मॉडल प्रश्न पत्र हल करने तथा समय प्रबंधन के टिप्स भी दिए। उपस्थित छात्रों ने इस संवाद में गहरी रुचि दिखाई और कई जिज्ञासाएं भी रखीं जिनका उत्तर प्रवक्ता द्वारा सरल भाषा में दिया गया।

निपुण भारत मिशन के अंतर्गत निपुण बच्चों को किया सम्मानित

निरीक्षण के दौरान कक्षा 2 के छात्रों की निपुण लक्ष्य ऐप के माध्यम से जाँच की गई। इस दौरान छात्र वंश और असद ने सभी दक्षता स्तरों को सफलतापूर्वक पार किया, जिसके उपलक्ष्य में डॉ. मनोज वार्ष्णेय ने उन्हें निपुण बैज पहनाकर सम्मानित किया।

उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि केवल छात्रों की ही नहीं, बल्कि उनके अभिभावकों और शिक्षकों के सहयोग का भी परिणाम है। उन्होंने अन्य बच्चों को भी प्रेरित करते हुए कहा कि निपुणता के लिए नियमित अभ्यास, खेल आधारित शिक्षा और शिक्षक के मार्गदर्शन का पालन करना अत्यंत आवश्यक है।

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डीएलएड प्रशिक्षुओं के शिक्षण कार्य का हुआ पर्यवेक्षण

निरीक्षण के क्रम में विद्यालय में शिक्षण कार्य कर रहे डीएलएड प्रथम सेमेस्टर के प्रशिक्षुओं का सुपरवीजन भी किया गया। डॉ. वार्ष्णेय ने कक्षा 4 में शिक्षण कर रही प्रशिक्षु छात्राओं से शिक्षण विधियों, पाठ योजना निर्माण तथा विद्यार्थियों की समझ के स्तर को लेकर प्रश्न पूछे और मूल्यवान सुझाव दिए।

उन्होंने कहा कि डीएलएड प्रशिक्षुओं को स्कूल की वास्तविक परिस्थितियों में बच्चों से जुड़कर पढ़ाने की कला को सीखना अत्यंत आवश्यक है। इसी प्रक्रिया से वे एक सफल शिक्षक बन सकते हैं।

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प्रशिक्षुओं को दिए शिक्षण कौशल के सुझाव

इस अवसर पर डायट से निखिल सिंह, काव्य यादव, मानसी सिंह, अंशू, गौरव यादव, अनम खान (हरप्यारी कॉलेज), अंजली, कंचन शर्मा (रामकृष्ण कॉलेज) सहित कई प्रशिक्षु उपस्थित रहे। सभी को डॉ. वार्ष्णेय ने प्रभावी शिक्षण तकनीकों की जानकारी दी। उन्होंने माइक्रो टीचिंग, ब्लैकबोर्ड स्किल्स, कहानी वाचन, प्रश्न पूछने की तकनीक और समूह क्रियाओं का अभ्यास करने के लिए प्रेरित किया।

उन्होंने बताया कि प्रशिक्षुओं को शिक्षण कौशल के साथ-साथ मूल्य शिक्षा, सहानुभूति और सामाजिक चेतना को भी बच्चों के अंदर विकसित करने का प्रयास करना चाहिए।

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शैक्षिक वातावरण की सराहना

निरीक्षण के दौरान विद्यालय के शैक्षिक वातावरण का भी अवलोकन किया गया। उन्होंने प्रधानाध्यापक शिव कुमार शर्मा और समस्त विद्यालय स्टाफ की समर्पित कार्यशैली की सराहना की। विद्यालय में स्वच्छता, बालकों की उपस्थिति, टीएलएम (शैक्षिक सहायक सामग्री) की उपलब्धता तथा कक्षा-वार शिक्षण सामग्री देखकर संतोष व्यक्त किया गया।

डॉ. वार्ष्णेय ने कहा कि निपुण भारत मिशन तभी सफल हो सकता है जब शिक्षक, अभिभावक और विभाग मिलकर एक साझा लक्ष्य की भावना से कार्य करें।

निष्कर्ष और आगे की योजना

इस निरीक्षण अभियान का उद्देश्य केवल उपस्थिति लेना या औपचारिकता निभाना नहीं था, बल्कि बच्चों, प्रशिक्षुओं और शिक्षकों के बीच सीधा संवाद स्थापित कर शिक्षा की गुणवत्ता को धरातल पर बेहतर बनाना था।

निपुण भारत मिशन, श्रेष्ठा योजना और शिक्षकों का निरंतर विकास – ये तीनों तत्व ही भारत के शिक्षा भविष्य की रीढ़ हैं। ऐसे निरीक्षणों से विद्यालयों में शिक्षा की पारदर्शिता और गुणवत्ता दोनों में सुधार होता है।

श्रेष्ठा परीक्षा की तैयारी

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