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दशम् राष्ट्रीय सम्मान 2025 में शिक्षक हुए सम्मानित

जन दृष्टित (व्यवस्था सुधार मिशन) द्वारा दशम राष्ट्रीय सम्मान समारोह का हुआ आयोजन

दशम् राष्ट्रीय सम्मान समारोह 2025: शिक्षकों को मिला राष्ट्रीय मंच पर गौरव

एस. शेरवानी (ब्यूरो चीफ़) –

आगरा/ बदायूं, 15 जुलाई 2025

जन दृष्टि (व्यवस्था सुधार मिशन) के तत्वावधान में संतपाल सिंह राठौड़ जी की 11वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित दशम् राष्ट्रीय सम्मान समारोह 2025 में आगरा के अनिल कुमार को “उत्कृष्ट शिक्षक” तथा “सामाजिक कार्यकर्ता” के रूप में दो राष्ट्रीय सम्मान से गौरवान्वित किया गया।
यह प्रतिष्ठित कार्यक्रम प्रभा शंकर मेमोरियल स्काउट भवन, बदायूं में आयोजित हुआ, जहाँ भारत के 28 राज्यों से आए शिक्षकों को पहचान दी गई।

समारोह की पृष्ठभूमि और उद्देश्य

स्वर्गीय संतपाल सिंह राठौड़, जो उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के महान शिक्षाविद थे, का समर्पित जीवन शिक्षा के माध्यम से समाज को संवारने में लगा रहा। उनकी स्मृति में उनके सुपुत्र हरि प्रताप सिंह राठौड़ ने पिछले एक दशक से हर 15 जुलाई को राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षक सम्मान समारोह का आयोजन किया है।
इस समारोह के माध्यम से न केवल शिक्षा क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है, बल्कि उनकी समाज सेवा को भी उजागर किया जाता है।

आगरा से राष्ट्रीय सम्मानित शिक्षक

अनिल कुमार – दो राष्ट्रीय सम्मान

आगरा जिले के अभियांत्रिकी महाविद्यालय में अध्यापक अनिल कुमार को इस वर्ष—

  • उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान और

  • सामाजिक कार्यकर्ता सम्मान

—यह दो प्रतिष्ठित राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार प्रदान कर उनकी बहुपक्षीय सेवाओं को मान्यता दी गई।
उनकी शिक्षा के प्रति निष्ठा और सामाजिक कार्यों जैसे कि स्कूली बच्चों के रूपांतरण, गांवों में शिक्षण शिविरों का आयोजन, सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान, और बुनियादी स्वास्थ्य शिक्षा की पहलों को भी इस अवसर पर सराहा गया।

राष्ट्रीय

 

अन्य सम्मानित शिक्षक

  • पविता कुशवाह (आगरा) – उत्कृष्ट शिक्षक पुरस्कार

  • राकेश कुमार कुशवाह (एटा) – उत्कृष्ट शिक्षक पुरस्कार

  • मेलिना चौहान (राजस्थान) – उत्कृष्ट शिक्षक पुरस्कार

इन सभी शिक्षकों ने देश-प्रदेश में शिक्षा को सरल, समावेशी और गुणवत्तापूर्ण बनाने हेतु उल्लेखनीय सेवा की।

देश भर से शिक्षक, 28 राज्य उपस्थित

इस वर्ष समारोह में भारत के 28 राज्यों से शिक्षकों की उपस्थिति रही, जिनमें शामिल थे:

  • मध्य प्रदेश

  • राजस्थान

  • बिहार

  • उत्तराखण्ड

  • उत्तर प्रदेश

  • छत्तीसगढ़

  • तमिलनाडु

  • महाराष्ट्र

  • ओडिशा

  • पश्चिम बंगाल आदि

यह आयोजन शिक्षा जगत में दोहरी पहल को दर्शाता है: ज्ञान साझा करना और समाज को सशक्त बनाना

उपाधिकारियों और शिक्षकों ने सम्मानित किया अनिल कुमार को

समारोह की मुख्य अतिथि श्रीमती पुष्पा देवी (पूर्व शिक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश) रही, जिन्होंने शाल और श्रीफल देकर अनिल कुमार का स्वागत किया।
दोनों सम्मान अनिल कुमार को प्रदान करते हुए, उन्होंने कहा:

“उनका कार्यक्षेत्र विद्यालयों से परे समाज के कोने-कोने तक पहुंचता है, यह बहुत ही प्रेरणादायक है।”

 

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अनिल कुमार की शिक्षाशास्त्रीय व सामाजिक भूमिका

अनिल कुमार न केवल गणित विषय के विशेषज्ञ अध्यापक रहे हैं, बल्कि साप्ताहिक रूप से जागरूकता शिविर, स्वास्थ्य और शिक्षा पर कार्यशालाएं भी आयोजित करते हैं।
उनके कार्य में शामिल हैं:

  • बाल कल्याण शिविर

  • शिक्षा का डिजिटलकरण

  • स्कूल पढ़ने में विलम्ब वाले बच्चों की ट्यूशन सुविधा

  • गाँवों में महिला शिक्षा जागरूकता कार्यक्रम

  • स्वच्छता, स्वास्थ्य वॉश, सड़क सुरक्षा, और डिजिटल साक्षरता

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पुरस्कार के महत्व और प्रेरणा स्रोत के रूप में शिक्षक

उत्कृष्ट शिक्षक पुरस्कार केवल सम्मान नहीं है, बल्कि यह अनिल कुमार जैसे शिक्षकों को प्रेरणा देता है कि वे समय से ऊपर उठकर शिक्षा, स्वच्छता, समाज सेवा, और ग्राम विकास में भूमिका निभाएं।
सामाजिक कार्यकर्ता सम्मान उन्हें समाज में शिक्षाशास्त्र को साधिका शक्ति के रूप में स्थापित करता है।

संतपाल सिंह राठौड़ की शिक्षाविद प्रेरणा

समारोह का मूल उद्देश्य रहा— शिक्षा के प्रकाश से समाज को उभारना, जो सन्तपाल सिंह राठौड़ की जीवन-दर्शन का आदर्श रहा है।
इस कार्यक्रम द्वारा उस आदर्श को जीवंत रखा गया है कि शिक्षक केवल विद्यालय का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि समाज रूपांतरण के प्रेरक होते हैं।

निष्कर्ष:

15 जुलाई 2025 को बदायूं में आयोजित दशम् राष्ट्रीय सम्मान समारोह शिक्षा और समाज सेवा के समन्वय का प्रतीक बना।
आगरा के अनिल कुमार, पविता कुशवाह सहित अन्य शिक्षकों की मान्य जनप्रतिष्ठा ने यह दिखाया कि शिक्षक केवल ज्ञान के वाहक नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन के प्रेरक भी होते हैं।

इस समारोह ने पूरे शिक्षा जगत को प्रेरित किया है कि शिक्षा का दायरा विद्यालय से अति होकर पूरे समाज तक फैले—और यही सन्तपाल सिंह राठौड़ की अमिट विरासत है।

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