स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण 2025: आगरा मंडल में कार्यशाला संपन्न
मंडलायुक्त की अध्यक्षता में स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण- 2025 के तहत कार्यशाला का हुआ आयोजन

मंडलायुक्त की अध्यक्षता में स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण 2025 के तहत कार्यशाला संपन्न, नागरिक फीडबैक और ODF स्थायित्व पर दिया गया विशेष जोर
ग्रामीण क्षेत्रों की स्वच्छता रैंकिंग सुधारने हेतु अधिकारियों को दिए गए दिशा-निर्देश
आगरा, 30 जुलाई 2025
एस. शेरवानी (ब्यूरो चीफ़) –
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण-2025 की तैयारियों को मजबूती देने हेतु आगरा मंडलायुक्त शैलेन्द्र कुमार सिंह की अध्यक्षता में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला विशेष रूप से ओडीएफ (ODF) स्थायित्व, सृजित परिसम्पत्तियों की क्रियाशीलता, और नागरिक फीडबैक पर केंद्रित रही।
वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में हुआ आयोजन
इस महत्वपूर्ण आयोजन में संयुक्त विकास आयुक्त उमेश मणि त्रिपाठी, उपनिदेशक पंचायत संजय कुमार यादव, तथा स्टेट कंसल्टेंट्स तुहीना रॉय और यूनिसेफ के प्रदीप कुमार ने भाग लिया। कार्यशाला में आगरा मण्डल के समस्त जिला पंचायती राज अधिकारी (डीपीआरओ), जिला समन्वयक (डीसी), खंड विकास अधिकारी (बीडीओ), एडीओ (पंचायत) एवं बीसी (ब्लॉक कोऑर्डिनेटर) शामिल हुए।
कार्यशाला का उद्देश्य
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण-2025 के बिंदुओं को स्पष्ट करना और ग्रामीण स्वच्छता अभियान को रैंकिंग में बेहतर बनाने के लिए ज़मीनी स्तर पर रणनीति तय करना था। इस दौरान सभी डीपीआरओ ने एसएसजी (Swachh Survekshan Gramin) कार्ययोजना प्रस्तुत की, जिसमें सर्विस लेवल प्रोग्रेस, डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन, जनभागीदारी व फीडबैक प्रणाली के लक्ष्य शामिल रहे।
मंडलायुक्त का मार्गदर्शन
मंडलायुक्त शैलेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि “स्वच्छता सिर्फ रैंक के लिए नहीं बल्कि ग्रामीण जीवन की गुणवत्ता सुधारने के लिए आवश्यक है।” उन्होंने सभी अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे नागरिक फीडबैक में सुधार, ग्राम पंचायतों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, शौचालयों की स्थिति व उपयोग, तथा जन जागरूकता अभियानों पर विशेष कार्य करें। उन्होंने स्पष्ट कहा कि सभी ज़िले यदि योजनाबद्ध तरीके से कार्य करें तो उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय स्तर पर शीर्ष रैंक हासिल कर सकता है।
संयुक्त विकास आयुक्त का सुझाव
संयुक्त विकास आयुक्त उमेश मणि त्रिपाठी ने कहा कि “हर खंड स्तर पर अभियान चलाया जाए, जिसमें साफ-सफाई, नालियों की सफाई, कचरा निस्तारण और शौचालय उपयोगिता पर ध्यान दिया जाए। साथ ही ग्रामीणों को डिजिटल माध्यम से फीडबैक देने हेतु प्रेरित किया जाए।”
तकनीकी प्रशिक्षण
स्टेट कंसल्टेंट तुहीना रॉय एवं यूनिसेफ प्रतिनिधि प्रदीप कुमार ने उपस्थित अधिकारियों को स्वच्छ सर्वेक्षण के तकनीकी बिंदुओं, डेटा अपलोडिंग, पोर्टल संचालन, फील्ड सर्वे रिपोर्टिंग, और जनता के साथ संवाद तकनीक पर प्रशिक्षण दिया। उन्होंने बताया कि सर्वेक्षण में 50% अंक केवल नागरिक फीडबैक पर आधारित होते हैं, इसलिए ग्रामवासियों को इस मुहिम से जोड़ना जरूरी है।
उपनिदेशक पंचायत की भूमिका
उपनिदेशक पंचायत संजय कुमार यादव ने कहा कि “सभी बीडीओ और एडीओ अपने-अपने क्षेत्र में क्रियाशील परिसंपत्तियों की समीक्षा करें, यह सुनिश्चित करें कि शौचालय, कंपोस्ट पिट, सॉलिड वेस्ट सेग्रीगेशन यूनिट आदि पूरी तरह से उपयोग में हैं।” उन्होंने सर्वेक्षण में अच्छे प्रदर्शन के लिए ऑब्जर्वेशन, साक्ष्य अपलोडिंग और सामुदायिक भागीदारी को आवश्यक बताया।
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सहभागिता और समाधान
कार्यशाला में एक प्रश्नोत्तर सत्र भी आयोजित हुआ, जिसमें अधिकारियों ने स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण-2025 से संबंधित जमीनी चुनौतियों, ऑनलाइन डेटा रिपोर्टिंग, परिसंपत्तियों के रख-रखाव, एवं नागरिक सहभागिता से जुड़े प्रश्न रखे। मंडलायुक्त व संयुक्त आयुक्त ने विस्तृत रूप से समाधान भी प्रदान किए।
ग्रामीण क्षेत्रों के लिए उठाए जाने वाले कदम:
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प्रत्येक ग्राम पंचायत में ODF स्थायित्व की नियमित निगरानी
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सभी परिसंपत्तियों का GIS टैगिंग के साथ फोटो अपलोड
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ग्राम स्तर पर स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से जागरूकता
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विद्यालयों, आंगनवाड़ियों को स्वच्छता अभियान से जोड़ना
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नागरिक फीडबैक जुटाने हेतु IEC अभियान (सूचना, शिक्षा, संचार)
निष्कर्ष
स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण 2025 उत्तर प्रदेश के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। कार्यशाला के माध्यम से यह स्पष्ट हो गया कि शासन स्तर से लेकर ग्राम पंचायत तक, यदि सभी इकाइयां समन्वय के साथ कार्य करें, तो न केवल प्रदेश बल्कि देशभर में आगरा मण्डल ग्रामीण स्वच्छता में मिसाल बन सकता है। नागरिक फीडबैक को प्राथमिकता देकर, ODF स्थायित्व को बनाए रखकर और परिसंपत्तियों को पूरी तरह क्रियाशील बनाकर यह संभव है।
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