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गुरुद्वारा गुरु का ताल और मंदिरों का होगा पर्यटन विकास

प्रो. एस.पी. सिंह बघेल के प्रयास लाए रंग

आगरा के प्राचीन मंदिरों और गुरुद्वारा गुरु का ताल का होगा पर्यटन विकास: प्रो. एस.पी. सिंह बघेल के प्रयास लाए रंग

एस. शेरवानी (ब्यूरो चीफ़) –

आगरा, 28 जुलाई 2025

आस्था और संस्कृति की नगरी आगरा के लिए एक सुखद समाचार आया है। केंद्रीय राज्य मंत्री प्रोफेसर एस.पी. सिंह बघेल द्वारा रखे गए प्रस्ताव पर उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने मुहर लगा दी है। इसके तहत गुरुद्वारा गुरु का ताल, नाथ संप्रदाय के प्राचीन मंदिर और अन्य धार्मिक स्थलों का पर्यटन विकास किया जाएगा।

यह निर्णय न केवल आगरा के धार्मिक महत्व को पुनः स्थापित करेगा, बल्कि पर्यटन को भी नया आयाम देगा। आगरा को अब केवल ताजमहल या किले तक सीमित नहीं, बल्कि आध्यात्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में भी पहचान मिलने जा रही है।

गुरुद्वारा गुरु का ताल: आस्था और शौर्य का प्रतीक

आगरा का गुरुद्वारा गुरु का ताल सिख धर्म के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी से जुड़ा हुआ ऐतिहासिक स्थल है। यह वह स्थान है जहाँ उन्होंने अपने पिता गुरु तेग बहादुर जी की गिरफ्तारी के विरोध में संघर्ष के लिए दिल्ली की ओर प्रस्थान किया था। गुरु तेग बहादुर जी के 350वें बलिदान दिवस के अवसर पर सरकार द्वारा लिया गया यह निर्णय सिख, पंजाबी और सिंधी समाज के लिए गुरुद्वारा गुरु का ताल गर्व और आस्था का प्रतीक बन गया है।

गुरुद्वारा गुरु का ताल, प्रमुख बाबा प्रीतम सिंह और पंजाबी सभा अध्यक्ष सर्व प्रकाश कपूर ने इसे एक ऐतिहासिक उपलब्धि बताते हुए कहा कि यह निर्णय भविष्य की पीढ़ियों को धर्म, शौर्य और बलिदान की प्रेरणा देगा।

नाथ संप्रदाय का मंदिर: सावन में श्रद्धालुओं को मिला तोहफा

मऊ स्थित आनंदी भैरो मंदिर, जो नाथ संप्रदाय से जुड़ा है, उसका पुनरुद्धार और समग्र विकास भी इस योजना का हिस्सा है। सावन माह में जहां शिवभक्तों की अपार भीड़ इस स्थल पर उमड़ती है, वहां अब पर्यटन सुविधाएं, अवस्थापना विकास, पेयजल, शौचालय, लाइटिंग, और साज-सज्जा के प्रावधान किए जाएंगे।

यह न केवल श्रद्धालुओं की सुविधा बढ़ाएगा, बल्कि धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा देगा। स्थानीय महंतों और संत समाज ने इसे आध्यात्मिक पुनर्जागरण की दिशा में बड़ा कदम बताया है।

प्रो. एस.पी. सिंह बघेल: आगरा के धार्मिक पर्यटन के सशक्त पक्षधर

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री प्रो. एस.पी. सिंह बघेल ने कहा,

“हमारे मंदिर और गुरुद्वारे केवल धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि संस्कृति, श्रद्धा और आस्था के जीवंत प्रतीक हैं। इनका पर्यटन विकास होना समय की मांग है, जिससे श्रद्धालु भी लाभान्वित होंगे और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।”

उन्होंने इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह द्वारा मंजूरी दिए जाने पर उनका आभार जताया।

विभिन्न समुदायों ने जताई खुशी, दी बधाई

इस ऐतिहासिक घोषणा के बाद आगरा के धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक वर्गों में हर्ष की लहर दौड़ गई है। निम्न प्रमुख व्यक्तियों ने प्रसन्नता जताते हुए सरकार को धन्यवाद दिया:

  • बाबा प्रीतम सिंह (गुरुद्वारा प्रमुख)

  • सर्व प्रकाश कपूर (पंजाबी सभा अध्यक्ष)

  • राजकुमार गुप्ता (भाजपा महानगर अध्यक्ष)

  • दिगम्बर सिंह धाकरे

  • उपेंद्र सिंह लवली

  • संजीव कपूर

  • नीतेश अग्रवाल

  • रोहित कत्याल

  • नवीन गौतम

  • गौरव शर्मा

  • अन्य लोकसभा क्षेत्र के धर्मप्रेमी व सामाजिक कार्यकर्ता

सभी ने कहा कि आगरा की धार्मिक आत्मा और सांस्कृतिक धरोहर को पुनः पहचान मिलना बेहद सराहनीय कदम है।

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पर्यटन मंत्रालय का फोकस – धार्मिक पर्यटन को मिले बढ़ावा

पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने स्पष्ट किया है कि उत्तर प्रदेश सरकार अब धार्मिक पर्यटन को विशेष प्राथमिकता दे रही है। अयोध्या, काशी और मथुरा की तर्ज पर अब आगरा के मंदिरों और गुरुद्वारों को भी आधुनिक सुविधाओं से जोड़ा जाएगा।

इस योजना में शामिल मुख्य बिंदु होंगे:

  • मंदिर और गुरुद्वारे के लिए साइन बोर्ड, LED डिस्प्ले

  • सूचना केंद्र और मार्गदर्शक सेवाएं

  • सुगम पहुंच हेतु सड़क मरम्मत व चौड़ीकरण

  • स्वच्छता, रौशनी व पार्किंग की समुचित व्यवस्था

  • सांस्कृतिक कार्यक्रमों को बढ़ावा देने हेतु मंच व सहयोग

आगरा: आध्यात्मिक पर्यटन की ओर एक मजबूत कदम

आगरा के पास ताजमहल, आगरा किला, मेहताब बाग जैसे विश्व प्रसिद्ध स्थल पहले से ही हैं, पर अब धार्मिक स्थलों को नया रूप देने का यह प्रयास पर्यटन की विविधता को उजागर करेगा।

राधा स्वामी मठ मंदिर, खाटू श्याम मंदिर, गोकुल, फतेहपुर सीकरी व बटेश्वर जैसे स्थलों को भी इस योजना से जोड़े जाने की चर्चा है।

निष्कर्ष: श्रद्धा, संस्कृति और पर्यटन का अद्भुत संगम

यह घोषणा आगरा की धार्मिक चेतना और पर्यटन क्षमता दोनों को सशक्त बनाने वाली है। गुरुद्वारा गुरु का ताल और नाथ संप्रदाय के मंदिरों को विकसित कर सरकार ने यह संदेश दिया है कि आस्था और विकास दोनों साथ-साथ चल सकते हैं

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