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Kheragarh Breaking News: प्राकृतिक खेती अपनाकर भूमि को उपजाऊ बनाएं किसान – खेरागढ़ में कृषि विभाग की समीक्षा बैठक

खेरागढ़ ब्लॉक के ग्राम बुरहरा में कृषि विभाग द्वारा प्राकृतिक खेती को लेकर समीक्षा कार्यक्रम आयोजित किया गया। अधिकारियों ने किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाकर भूमि की उर्वरता बढ़ाने और लागत घटाने के लिए प्रेरित किया।

प्राकृतिक खेती अपनाकर किसान बनाएं भूमि को उपजाऊ और सुरक्षित – अनिल कुमार यादव

Saleem Sherwani

एस. शेरवानी (ब्यूरो चीफ़)

खेरागढ़/आगरा, 17 दिसंबर 2025

जनपद आगरा के खेरागढ़ विकासखंड स्थित ग्राम बुरहरा में किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक करने एवं इसकी प्रगति की समीक्षा के उद्देश्य से एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में संयुक्त निदेशक बाढ़ोन्मुखी अनिल कुमार यादव ने किसानों से सीधा संवाद करते हुए प्राकृतिक खेती को अपनाने पर विशेष जोर दिया और इसे भविष्य की खेती का आधार बताया।

रासायनिक खेती से कमजोर हो रही है मिट्टी

संयुक्त निदेशक अनिल कुमार यादव ने अपने संबोधन में कहा कि लगातार रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और खरपतवार नाशकों के अत्यधिक उपयोग से खेतों की मिट्टी की जैविक शक्ति नष्ट हो रही है। इससे न केवल भूमि की उर्वरता घट रही है, बल्कि उत्पादन लागत बढ़ने के साथ-साथ फसल की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है।
उन्होंने कहा कि यदि यही स्थिति बनी रही तो आने वाले वर्षों में खेती किसानों के लिए घाटे का सौदा बन सकती है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि प्राकृतिक खेती ही ऐसा विकल्प है, जिससे भूमि की उर्वरता को पुनः जीवित किया जा सकता है। प्राकृतिक खेती से मिट्टी में जैविक कार्बन की मात्रा बढ़ती है, जल धारण क्षमता मजबूत होती है और खेतों में लाभकारी सूक्ष्म जीव सक्रिय होते हैं।

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प्राकृतिक खेती से किसानों की लागत में होगी कमी

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अनिल कुमार यादव ने बताया कि प्राकृतिक खेती अपनाने से किसान बीज, खाद और कीटनाशकों पर होने वाले खर्च से बच सकते हैं। गोबर, गौमूत्र, नीम, गुड़ और बेसन जैसे स्थानीय संसाधनों से तैयार बीजामृत और जीवामृत से खेती की जा सकती है, जिससे उत्पादन लागत काफी कम हो जाती है।
उन्होंने किसानों को आश्वस्त किया कि सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता भी उपलब्ध करा रही है।

स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है प्राकृतिक उपज

कार्यक्रम में उपस्थित जिला कृषि अधिकारी विनोद कुमार ने कहा कि प्राकृतिक खेती से उत्पादित अनाज, फल और सब्जियां पूर्णतः रसायन मुक्त होती हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी हैं।
उन्होंने बताया कि आज बढ़ती बीमारियों, एलर्जी और कैंसर जैसी गंभीर समस्याओं के पीछे रासायनिक खाद्य पदार्थ एक बड़ा कारण हैं। प्राकृतिक खेती से प्राप्त खाद्यान्न न केवल किसानों के परिवार बल्कि पूरे समाज को स्वस्थ रखने में सहायक हैं।

बीजामृत और जीवामृत के प्रयोग की दी गई जानकारी

कार्यक्रम का संचालन कर रहे सलाहकार सलीम अली खां ने किसानों को प्राकृतिक खेती की व्यावहारिक तकनीकों से अवगत कराया। उन्होंने बीजामृत और जीवामृत तैयार करने की विधि विस्तार से समझाई और बताया कि इनके प्रयोग से फसल की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
उन्होंने किसानों को बताया कि जीवामृत के नियमित प्रयोग से मिट्टी में सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या बढ़ती है, जिससे फसल का विकास प्राकृतिक रूप से होता है।

विशेषज्ञों ने साझा की तकनीकी जानकारियां

कार्यक्रम में विषय वस्तु विशेषज्ञ डॉ. शोभित सिंह और अनिरुद्ध माधव ने किसानों को प्राकृतिक खेती से जुड़ी आधुनिक एवं वैज्ञानिक जानकारियां दीं। उन्होंने प्राकृतिक कीट नियंत्रण, फसल चक्र, मल्चिंग और मिश्रित खेती जैसे तरीकों पर प्रकाश डाला और किसानों को इन्हें अपनाने के लिए प्रेरित किया।

किसानों ने लिया प्राकृतिक खेती अपनाने का संकल्प

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कार्यक्रम में पटल सहायक भूपेंद्र सिंह, जोरावर सिंह, प्रभारी सुधाकर सिंह, प्राविधिक सहायक रवि कुमार, विक्रम सिंह सहित कई अधिकारी एवं बड़ी संख्या में किसान उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के अंत में किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपनाने का संकल्प लिया और अधिकारियों से निरंतर मार्गदर्शन की अपेक्षा जताई।

अंत में अधिकारियों ने किसानों को आश्वस्त किया कि कृषि विभाग द्वारा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए हर संभव सहयोग, प्रशिक्षण एवं तकनीकी सहायता प्रदान की जाएगी।

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