आगरा डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय का छात्रावास बना मंडल में सर्वश्रेष्ठ बालिका छात्रावास: महिमा मिश्रा के निरीक्षण में मिला सम्मान
डॉ0 भीमराव आंबेडकर विवि का बालिका छात्रावास, मंडल में सर्वश्रेष्ठ, अनुशासन और सुरक्षा में अव्वल

एस. शेरवानी (ब्यूरो चीफ)-
आगरा डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय का छात्रावास बना मंडल में सर्वश्रेष्ठ बालिका छात्रावास: महिमा मिश्रा के निरीक्षण में मिला सम्मान
आगरा। डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा द्वारा संचालित 100 सीटों वाला बालिका छात्रावास अब आगरा मंडल में सर्वश्रेष्ठ रख-रखाव और अनुशासन वाले छात्रावास के रूप में पहचाना गया है। यह गौरव समाज कल्याण विभाग की मंडलीय उप निदेशक महिमा मिश्रा के निरीक्षण और विस्तृत समीक्षा के बाद विश्वविद्यालय को प्राप्त हुआ। छात्राओं की सुरक्षा, स्वच्छता, आधुनिक सुविधाओं और अनुशासन के स्तर को देखते हुए इसे एक आदर्श छात्रावास मॉडल के रूप में चिन्हित किया गया है।
विश्वविद्यालय छात्रावास को क्यों मिला यह सम्मान?
महिमा मिश्रा ने हाल ही में आगरा, मथुरा, मैनपुरी और फिरोजाबाद के कई छात्रावासों का औचक निरीक्षण किया। हर जगह की भिन्न स्थितियों और व्यवस्थाओं का तुलनात्मक विश्लेषण करते हुए उन्होंने डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के बालिका छात्रावास को सबसे बेहतर और अनुकरणीय बताया।
निरीक्षण के दौरान उन्होंने छात्रावास में उपलब्ध सुरक्षा व्यवस्थाओं, साफ-सफाई, रसोई व्यवस्था, छात्राओं के कमरे, पुस्तकालय, अध्ययन कक्ष और मनोरंजन सुविधाओं का विशेष रूप से निरीक्षण किया। उन्होंने पाया कि छात्रावास में छात्राओं के लिए एक प्रेरक, सुरक्षित और अनुशासित वातावरण उपलब्ध कराया गया है, जो अन्य संस्थानों के लिए एक मिसाल है।
कुलपति प्रो. आशु रानी के नेतृत्व में आया बदलाव
यह सम्मान केवल व्यवस्थाओं की सफलता नहीं है, बल्कि विश्वविद्यालय की मजबूत नेतृत्व क्षमता और छात्राओं के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण का प्रमाण है। विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. आशु रानी के नेतृत्व में एक निष्क्रिय, उपेक्षित भवन को आधुनिक सुविधाओं से युक्त छात्रावास में तब्दील किया गया है।
प्रो. आशु रानी ने न केवल भवन के संरचनात्मक विकास पर ध्यान दिया, बल्कि उसमें रहने वाली छात्राओं के मानसिक, भावनात्मक और शैक्षणिक विकास के लिए भी ठोस पहल की। उन्होंने छात्रावास को सिर्फ रहने का स्थान नहीं, बल्कि एक ऐसा वातावरण बनाने की कोशिश की जहाँ छात्राएं स्वावलंबी और सशक्त बन सकें।
सहायक वार्डन डॉ. रत्ना पांडे को मिला विशेष सम्मान
इस उपलब्धि में एक और महत्वपूर्ण नाम जुड़ा है—डॉ. रत्ना पांडे, जो कि छात्रावास की सहायक वार्डन हैं। उन्होंने न केवल छात्राओं के लिए अनुशासित वातावरण बनाया, बल्कि समय-समय पर उनकी समस्याओं को सुनकर समाधान देने में भी अग्रणी भूमिका निभाई।
महिमा मिश्रा ने निरीक्षण के दौरान डॉ. पांडे की कार्यशैली और समर्पण की प्रशंसा करते हुए उन्हें विशेष रूप से सम्मानित किया। छात्राओं से बातचीत में यह स्पष्ट हुआ कि उन्हें न केवल सुरक्षा मिलती है बल्कि वे मानसिक रूप से भी एक सहयोगी वातावरण का अनुभव करती हैं।
छात्राओं की प्रतिक्रिया: “यह हमारा घर है”
छात्रावास में रह रही छात्राओं ने भी इस उपलब्धि को लेकर उत्साह व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यहां की व्यवस्थाएं किसी प्राइवेट संस्थान से कम नहीं हैं। एक छात्रा ने बताया, “हम यहाँ केवल पढ़ाई नहीं करते, बल्कि नेतृत्व, अनुशासन और आत्मनिर्भरता भी सीखते हैं। यह सिर्फ हॉस्टल नहीं, हमारा दूसरा घर है।”
छात्राओं ने साफ-सफाई, समय पर भोजन, नियमित निरीक्षण, महिला स्टाफ की उपस्थिति और सुरक्षा कैमरों की व्यवस्था को बेहद संतोषजनक बताया।
विश्वविद्यालय प्रशासन की प्रतिक्रिया
विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस उपलब्धि को छात्र हितों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। प्रशासन का मानना है कि छात्राओं को केवल शिक्षा ही नहीं, बल्कि एक सुरक्षित और सकारात्मक वातावरण भी देना जरूरी है, जहाँ वे बिना किसी डर या तनाव के अपने सपनों को साकार कर सकें।
प्रशासन की ओर से यह भी बताया गया कि आने वाले समय में छात्रावास में ई-लाइब्रेरी, डिजिटल क्लासरूम और योगा रूम जैसी सुविधाएं भी जोड़ी जाएंगी, ताकि छात्राएं शारीरिक और मानसिक रूप से पूर्ण रूप से सक्षम बन सकें।
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निष्कर्ष:
डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा के छात्रावास को जो सम्मान मिला है, वह केवल एक भवन की सराहना नहीं, बल्कि महिला शिक्षा और सशक्तिकरण की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रो. आशु रानी का नेतृत्व, डॉ. रत्ना पांडे का समर्पण और छात्राओं की सकारात्मक सोच मिलकर यह सिद्ध करती है कि जब नीयत और प्रयास सशक्त हों, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता।