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Agra Breaking: केंद्रीय कारागार आगरा में विधिक जागरूकता शिविर | बंदियों की समस्याएँ सुनी गईं, सर्दी से बचाव हेतु तत्काल निर्देश

केंद्रीय कारागार आगरा में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा विधिक जागरूकता शिविर आयोजित किया गया। हाई कोर्ट के आदेश अब हिंदी में उपलब्ध होंगे। बंदियों की समस्याएँ सुनी गईं और सर्दी से बचाव की व्यवस्थाएँ करने के निर्देश दिए गए।

केंद्रीय कारागार आगरा में व्यापक विधिक जागरूकता शिविर आयोजित

निरूद्ध बंदियों की समस्याओं पर विस्तृत सुनवाई, सर्दी से बचाव के तत्काल निर्देश – न्यायिक व्यवस्था की मानवीय संवेदनशीलता का उत्कृष्ट उदाहरण

Saleem Sherwani

एस. शेरवानी (ब्यूरो चीफ़)
आगरा | 18 नवम्बर 2025

कानून सभी के लिए समान है—यह संदेश केंद्र में रखते हुए आगरा के केंद्रीय कारागार में मंगलवार को एक महत्वपूर्ण विधिक जागरूकता शिविर आयोजित किया गया।
शिविर का आयोजन राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA), नई दिल्ली और उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (UPSLSA), लखनऊ के दिशानिर्देश पर एवं जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण संजय कुमार मलिक के नेतृत्व में किया गया।

इस कार्यक्रम ने न केवल बंदियों को उनके विधिक अधिकारों से अवगत कराया बल्कि उनकी वास्तविक समस्याओं को सुनने और तत्काल समाधान का आश्वासन देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

 

इस शिविर का महत्व—क्यों यह केवल एक औपचारिकता नहीं बल्कि ‘न्याय की पहुंच’ बढ़ाने का प्रयास है

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सामान्य रूप से कारागारों में बंदियों की समस्याएँ—

  • जानकारी की कमी

  • कानूनी सलाह का अभाव

  • दस्तावेज़ों की उपलब्धता

  • निर्णय समझने में कठिनाई

  • केस में देरी

  • स्वास्थ्य व सुविधा संबंधी मुद्दे

केन्द्र में रहती हैं।

ऐसे में विधिक सेवा प्राधिकरण की यह पहल एक “सेतु” का काम करती है—जहां न्यायालय सिस्टम सीधे जेल तक पहुँचता है और बंदियों को उनकी स्थिति समझने, अपने केस को आगे बढ़ाने तथा अपने अधिकारों को जानने का अवसर मिलता है।

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उच्च न्यायालय के आदेश अब हिंदी में उपलब्ध—हजारों बंदियों के लिए बड़ी राहत

शिविर में सबसे महत्वपूर्ण घोषणा यह रही कि—

अब इलाहाबाद हाई कोर्ट और लखनऊ खंडपीठ के सभी निर्णय हिंदी में भी उपलब्ध होंगे।

इससे बंदियों को कई बड़ी सुविधाएँ मिलेंगी:
✔ वे स्वयं अपने आदेश पढ़ सकेंगे
✔ वकील पर निर्भरता कम होगी
✔ मुकदमों की प्रगति समझना आसान होगा
✔ अपील या संशोधन का निर्णय लेने में स्पष्टता होगी
✔ अनिश्चितता, तनाव और भ्रम की स्थिति कम होगी

कई बंदी इस घोषणा को सुनकर visibly राहत महसूस करते नजर आए।

सर्दी से बचाव के लिए तत्काल कदम—अधीक्षक को स्पष्ट निर्देश

शिविर के दौरान तापमान में गिरावट और मौसम की कठोरता को देखते हुए एक संवेदनशील मुद्दे पर तत्काल ध्यान दिया गया।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने अधीक्षक, केंद्रीय कारागार को निर्देश दिए कि:

  • हर बंदी को गर्म कपड़े, स्वेटर, मफलर, टोपी उपलब्ध कराई जाए

  • पर्याप्त कंबल और गरम बिस्तर दिए जाएँ

  • बैरकों में हवा रोकने, रोशनी और वेंटिलेशन का समुचित प्रबंध हो

  • चिकित्सा इकाई में सर्दी-जुकाम की दवाइयों का स्टॉक पर्याप्त रहे

यह निर्देश केवल सुविधा नहीं बल्कि मानवीय गरिमा के संरक्षण का हिस्सा है।

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निरूद्ध बंदियों की आवाज़ सुनी गई—हर समस्या दर्ज, समाधान के आदेश जारी

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इस शिविर की सबसे प्रभावी विशेषता यह रही कि बंदियों को अपनी समस्या बिना डर, बिना झिझक सीधे अधिकारियों के सामने रखने का अवसर मिला।

अपर जिला जज/सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण डॉ. दिव्यानंद द्विवेदी ने हर बंदी की बात ध्यानपूर्वक सुनी।

इनमें प्रमुख समस्याएँ थीं—

  • मुकदमे में देरी या तारीखें न मिलना

  • जमानत आवेदनों पर जानकारी का अभाव

  • परिवार से मुलाकात संबंधी कठिनाई

  • मेडिकल सुविधा की कमी

  • दस्तावेज़ समय पर उपलब्ध न होना

  • कानूनी सलाहकार से संपर्क की दिक्कत

हर समस्या का तत्काल नोट तैयार किया गया और अधीक्षक को समयबद्ध निस्तारण के निर्देश दिए गए।

बैरकों का निरीक्षण—स्वच्छता, सुरक्षा, भोजन और स्वास्थ्य सुविधाओं की गहन समीक्षा

शिविर के बाद कारागार की बैरकों का व्यापक निरीक्षण किया गया।
अधिकारियों ने निम्न पहलुओं को गंभीरता से परखा:

✔ स्वच्छता व्यवस्था

✔ भोजन की गुणवत्ता और समय-निर्धारण

✔ चिकित्सा व्यवस्था व दवा उपलब्धता

✔ सुरक्षा व्यवस्थाएँ

✔ शौचालयों की स्थिति

✔ पानी, रोशनी, हवा का प्रवाह

✔ नव-निर्माण और जर्जर हिस्सों का सुधार

निरीक्षण के दौरान हुए अवलोकनों पर अधीक्षक को आवश्यक सुधार के निर्देश भी दिए गए।

इस शिविर का व्यापक संदेश—मानवाधिकार और न्याय की पहुंच

ऐसे कार्यक्रम यह दर्शाते हैं कि—

“न्याय के दायरे से कोई भी व्यक्ति बाहर नहीं है, चाहे वह जेल में ही क्यों न हो।”

यह शिविर तीन प्रमुख सिद्धांतों को मजबूत करता है:

मानवीय संवेदनशीलता

हर बंदी भी एक नागरिक है और उसके अधिकार सुरक्षित हैं।

कानूनी सशक्तिकरण

जानकारी और मार्गदर्शन मिलने से वे केस में बेहतर निर्णय ले पाते हैं।

प्रशासनिक पारदर्शिता

जेल प्रशासन और न्याय प्रणाली के बीच समन्वय बढ़ता है।

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