AGRA- आगरा परिषदीय शिक्षक वेतन संकट गहराया, 7000 शिक्षक वेतन से वंचित, यूटा ने दी घेराव की चेतावनी
वित्त एवं लेखाधिकारी नियुक्त न होने से परिषदीय शिक्षक वेतन को तरसे

एस. शेरवानी (ब्यूरो चीफ़) –
आगरा। उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग से जुड़े आगरा जनपद के 2491 परिषदीय विद्यालयों के लगभग 7000 शिक्षकों का वेतन संकट में है। जुलाई माह की शुरुआत के तीन दिन बीतने के बावजूद भी शिक्षकों के खातों में वेतन नहीं पहुंचा है, जिससे भारी नाराजगी व्याप्त है।
इस पूरे प्रकरण में वजह बनी है – आगरा जिला बेसिक शिक्षा विभाग में वित्त एवं लेखा अधिकारी का पद रिक्त होना, जिससे वेतन प्रक्रिया बाधित हो गई है।
वेतन संकट ने बढ़ाई शिक्षकों की चिंता
शिक्षक संघ की यूनियन यूटा आगरा (उत्तर प्रदेशीय शिक्षक संघ – आगरा इकाई) ने इस समस्या को लेकर आवाज़ बुलंद की है।
संघ के जिला अध्यक्ष के.के. शर्मा और जिला महामंत्री राजीव वर्मा ने बताया कि राज्य सरकार के स्पष्ट निर्देश हैं कि सभी शिक्षकों और कर्मचारियों को हर माह की पहली तारीख को वेतन ऑनलाइन भुगतान प्रणाली के माध्यम से उपलब्ध कराया जाए, लेकिन आगरा जनपद में 3 जुलाई बीतने के बाद भी वेतन नहीं दिया गया है।
इस स्थिति ने सैकड़ों शिक्षकों को मानसिक और आर्थिक परेशानी में डाल दिया है, खासकर वे शिक्षक जो महीने की शुरुआत में ही आवश्यक खर्चों के लिए वेतन पर निर्भर रहते हैं।
वित्त एवं लेखा अधिकारी की नियुक्ति जल्द हो: शिक्षक संघ की मांग
यूटा आगरा ने जिलाधिकारी आगरा को ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि वित्त एवं लेखा अधिकारी का पद तत्काल प्रभाव से भरा जाए, ताकि वेतन प्रक्रिया सामान्य हो सके।
संघ की मुख्य मांगें:
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रिक्त वित्त एवं लेखा अधिकारी का पद अतिशीघ्र भरा जाए।
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शिक्षकों को वेतन भुगतान में देरी से मुक्त किया जाए।
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हर माह वेतन की निर्धारित तिथि पर गारंटी सुनिश्चित की जाए।
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यदि शनिवार तक वेतन नहीं मिला तो वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय का घेराव किया जाएगा।
वेतन न मिलने से शिक्षकों का जीवन अस्त-व्यस्त
“आगरा परिषदीय शिक्षक वेतन संकट” केवल प्रशासनिक लापरवाही नहीं है, यह हजारों शिक्षकों के मानसिक और पारिवारिक जीवन पर प्रतिकूल असर डाल रहा है।
एक शिक्षक नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कहते हैं “हर माह की पहली तारीख को ही बच्चों की फीस, घर का किराया, लोन की किस्त और अन्य खर्चों के लिए वेतन का इंतज़ार होता है। अब तीन दिन बीत चुके हैं और वेतन का कोई अता-पता नहीं है।”
तकनीकी नहीं प्रशासनिक कारण: संघ का आरोप
शिक्षक संगठन यूटा का साफ कहना है कि यह देरी किसी तकनीकी या बैंकिंग खामी की वजह से नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही के कारण हो रही है।
वित्त एवं लेखा अधिकारी के न होने से वेतन फाइलें समय पर अग्रसारित नहीं हो पा रही हैं, जिससे ऑनलाइन वेतन प्रणाली भी ठप हो गई है।
यूटा नेताओं का आरोप है कि बेसिक शिक्षा विभाग को पहले से ही इस संकट का अनुमान था, इसके बावजूद समय रहते कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई।
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शनिवार तक समय, फिर होगा आंदोलन
यूटा आगरा ने जिला प्रशासन को शनिवार तक की मोहलत दी है। यदि इस समयावधि में शिक्षकों का वेतन उनके खातों में ट्रांसफर नहीं किया गया, तो संगठन ने वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय पर घेराव और प्रदर्शन की चेतावनी दी है।
जिला अध्यक्ष के.के. शर्मा ने कहा “शिक्षक समाज हमेशा से राष्ट्र निर्माण का वाहक रहा है, लेकिन जब उन्हीं शिक्षकों को समय पर वेतन न मिले, तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। हम कोई राजनीतिक मांग नहीं कर रहे, केवल अपने अधिकार की बात कर रहे हैं।”
पिछली बार भी हुई थी देरी, अब तक समाधान नहीं
यह पहला अवसर नहीं है जब “आगरा शिक्षक वेतन अटका” हो, बल्कि बीते कुछ महीनों में कई बार वेतन भुगतान में देरी देखी गई है।
इसके पीछे प्रशासन की तरफ से कभी बजट न आने, तो कभी फाइल क्लियर न होने, और अब वित्त अधिकारी के न होने जैसी दलीलें दी जाती रही हैं।
लेकिन शिक्षक संघों का मानना है कि यह एक सुनियोजित लापरवाही है जिसे सरकार और प्रशासन नजरअंदाज कर रहे हैं।
शिक्षक संगठनों का आह्वान: शिक्षक गरिमा की रक्षा करो
यूटा आगरा के साथ-साथ अन्य शिक्षक संगठनों ने भी राज्य सरकार और जिला प्रशासन से अपील की है कि वे शिक्षकों की गरिमा की रक्षा करें और यह सुनिश्चित करें कि:
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वेतन भुगतान प्रक्रिया में कोई अड़चन न हो
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वित्तीय मामलों से जुड़े पदों पर स्थायी नियुक्ति हो
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और शिक्षकों को न्यायसंगत, समयबद्ध और सम्मानजनक वेतन प्रणाली मिले
शासन स्तर पर मौन क्यों?
इस संकट को लेकर शिक्षा निदेशालय और शासन स्तर पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
जबकि यह स्थिति एक जिले विशेष तक सीमित नहीं है, राज्य के कई जिलों में भी वित्त अधिकारी की अनुपस्थिति या देरी से भुगतान की शिकायतें सामने आती रही हैं।
आगरा परिषदीय शिक्षक वेतन संकट अब एक स्थानीय प्रशासनिक मुद्दा न होकर राज्यव्यापी शिक्षक हित का मामला बन चुका है, जिस पर उच्च स्तर पर संज्ञान जरूरी है।
निष्कर्ष
“आगरा परिषदीय शिक्षक वेतन संकट” सिर्फ एक वेतन देरी का मामला नहीं है, यह शिक्षकों की सामाजिक, मानसिक और आर्थिक असुरक्षा का संकेत है।
बेसिक शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन को यह समझना होगा कि यदि शिक्षक वर्ग को निरंतर असुरक्षा, देरी और असहजता का सामना करना पड़ेगा, तो शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता और नैतिकता पर भी प्रभाव पड़ेगा।
यूटा आगरा द्वारा दिया गया अल्टीमेटम यदि नजरअंदाज किया गया, तो आने वाले दिनों में यह मुद्दा और बड़ा हो सकता है, और शिक्षक वर्ग सड़कों पर उतर सकता है।
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