GPF पेंशन पर रिश्वत: खेरागढ़ में शिक्षकों का प्रदर्शन
कोषाधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग, SDM को सौंपा गया ज्ञापन

कोषाधिकारी को बर्खास्त करो” के नारों से गूंजा तहसील परिसर : सैंकड़ों शिक्षकों ने किया प्रदर्शन, दिया ज्ञापन
खेरागढ़/आगरा।
एस. शेरवानी (ब्यूरो चीफ़) –
उत्तर प्रदेश में ट्रेजरी कार्यालय के भ्रष्टाचार के खिलाफ शिक्षक समुदाय ने मोर्चा खोल दिया है। आज खेरागढ़, जगनेर और सैंया ब्लॉक से आए सैकड़ों शिक्षकों और शिक्षिकाओं ने GPF (सामान्य भविष्य निधि) और पेंशन भुगतान के नाम पर रिश्वतखोरी को लेकर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया। यह आंदोलन UNITED TEACHERS ASSOCIATION (UTA) के बैनर तले आयोजित किया गया।
प्रदर्शनकारियों ने तहसील खेरागढ़ परिसर तक विरोध मार्च निकाला और कोषाधिकारी रीता सचान के विरुद्ध कड़ी नारेबाजी की। महिला शिक्षिकाओं की भागीदारी ने प्रदर्शन को और भी प्रभावशाली बना दिया। उनके हाथों में लिखी “भ्रष्ट कोषाधिकारी रीता सचान को बर्खास्त करो”, “पेंशन पर रिश्वत बंद करो” जैसे स्लोगन वाली तख्तियां साफ जाहिर कर रही थीं कि अब शिक्षक समाज चुप नहीं बैठेगा।
प्रदर्शन का मुख्य कारण: GPF और पेंशन भुगतान में रिश्वत
यूटा पदाधिकारियों ने बताया कि आगरा जनपद के विभिन्न सरकारी विभागों में कार्यरत कर्मचारियों और शिक्षकों को मिलने वाली GPF राशि, प्रथम पेंशन, पारिवारिक पेंशन आदि के भुगतान के लिए ट्रेजरी कार्यालय में रेट तय कर लिए गए हैं।
यदि कोई कर्मचारी या शिक्षक रिश्वत नहीं देता, तो उसकी मूल पत्रावली से जरूरी दस्तावेजों को जानबूझकर हटा दिया जाता है, जिससे उसका भुगतान अटक जाए।
राजपाल सिंह प्रकरण ने बढ़ाया मामला
संगठन ने एक ताजा मामला सामने रखते हुए बताया कि खेरागढ़ ब्लॉक से सेवानिवृत्त शिक्षक राजपाल सिंह से प्रथम पेंशन निर्गत करने के एवज में रिश्वत मांगी गई। जब उन्होंने इसे देने से इनकार किया, तो उनकी पीपीओ संबंधित फाइल से गायब कर दी गई। यह न केवल भ्रष्टाचार का प्रमाण है, बल्कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों के सम्मान के साथ किया गया गंभीर खिलवाड़ भी है।
जिलाधिकारी के नाम सौंपा गया ज्ञापन
प्रदर्शन के पश्चात संगठन के पदाधिकारी, शिक्षकों के साथ उप जिलाधिकारी कार्यालय, खेरागढ़ पहुंचे, जहां उन्होंने जिलाधिकारी के नाम एक ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में प्रमुख मांगें थीं:
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कोषाधिकारी रीता सचान को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर उच्च स्तरीय जांच हो।
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राजपाल सिंह की पीपीओ फाइल की पुनः जांच कर उन्हें न्याय दिलाया जाए।
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यूटा जिलाध्यक्ष के.के. शर्मा के खिलाफ की गई झूठी FIR को तुरंत निरस्त किया जाए।
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ट्रेजरी विभाग में हो रही रिश्वतखोरी पर रोक लगाने के लिए निगरानी तंत्र की स्थापना हो।
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GPF और पेंशन संबंधी कार्यवाही की प्रक्रिया को ऑनलाइन और पारदर्शी किया जाए।
महिला शिक्षिकाओं का नेतृत्व और नारेबाजी
इस प्रदर्शन की विशेष बात रही महिला शिक्षिकाओं की बड़ी भागीदारी, जो हाथों में स्लोगन लिखे बैनर लेकर तेज आवाज़ में नारेबाजी करती रहीं। उनके आक्रोश और नेतृत्व ने यह दर्शा दिया कि अब शिक्षक समाज चुप नहीं बैठेगा।
प्रदर्शन में शामिल प्रमुख शिक्षक / शिक्षिकाएं
इस विरोध मार्च और प्रदर्शन में आगरा जिले के कई शिक्षक और शिक्षिकाएं शामिल रहे, जिनमें प्रमुख नाम हैं:
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आनंद शर्मा, धर्मेंद्र चाहर, प्रवेश शर्मा, पूजा खंडेलवाल, अनिल उपाध्याय, सुशील शर्मा, ज्योति बदादा, नीतेश शर्मा, विजय कुमार, प्रेमवीर, सौरभ शर्मा, नरेंद्र सिकरवार, रामकुमार, सुनील, राजकुमार, मीना, नीलम, निर्मला राठौर, तरबाबू, तरुण चाहर, देवेश तिवारी, ओमवीर सिंह, माइटी, सुशील जायसवाल, अवधेश, अब्दुल रहमान, पूनम, प्रीतिका, मंजूलता, पूजा, हेमलता, हिमानी, रचना, अर्चना, मनोज, स्मिता, गरिमा, शमा, नेहल, आकांक्षा, रमाकांत, महावीर, उदयवीर समेत सैकड़ों की संख्या में शिक्षक/शिक्षिकाएं मौजूद रहीं।
यूटा जिलाध्यक्ष के खिलाफ झूठी एफआईआर का भी विरोध
ज्ञापन में इस बात को लेकर भी गहरी नाराजगी जताई गई कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध खुलकर बोलने वाले यूटा जिलाध्यक्ष श्री के.के. शर्मा पर एक झूठी एफआईआर दर्ज कर दी गई है। संगठन ने इसे शोषण और दबाव की रणनीति बताते हुए एफआईआर को तत्काल निरस्त करने की मांग की।
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यूटा की चेतावनी: आंदोलन और तेज होगा
यूटा ने प्रशासन को चेताया कि यदि:
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कोषाधिकारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई
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और शिक्षक समाज की मांगों पर गौर नहीं किया गया
तो जिला स्तर से राज्य स्तर तक आंदोलन को विस्तार दिया जाएगा। संगठन इसके लिए प्रदेश भर के शिक्षक संगठनों से संपर्क साधेगा।
समाधान की दिशा में क्या कर सकता है प्रशासन?
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स्वतंत्र जांच कमेटी गठित की जाए, जिसमें प्रशासनिक और न्यायिक अधिकारी शामिल हों।
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ट्रेजरी विभाग में GPF और पेंशन से जुड़ी प्रक्रियाएं ऑनलाइन व ट्रैक करने योग्य हों।
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रिश्वत लेने/देने की शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई हेतु हेल्पलाइन नंबर और पोर्टल बनाया जाए।
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सेवानिवृत्त कार्मिकों की समस्याओं का निस्तारण समयबद्ध हो।
निष्कर्ष
शिक्षक समाज ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे अपने अधिकारों के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेंगे। खेरागढ़ की यह घटना प्रदेश भर के लिए जागृति और चेतावनी दोनों है कि यदि प्रशासन ने समय रहते पारदर्शिता नहीं दिखाई, तो भ्रष्टाचार के विरुद्ध यह आंदोलन और व्यापक रूप ले सकता है।