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फतेहपुर सीकरी श्रीमद् भागवत कथा में ध्रुव और प्रह्लाद चरित्र का मार्मिक वर्णन | आचार्य राजकुमार जी महाराज का प्रवचन

ओम कॉलोनी, फतेहपुर सीकरी में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में आचार्य राजकुमार जी महाराज ने ध्रुव और प्रह्लाद चरित्र का भावुक वर्णन किया। संस्कार, भक्ति और सद्गुरु के महत्व पर आधारित कथा में श्रोता हुए भाव-विभोर।

फतेहपुर सीकरी में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर भावुक हुए श्रोता, आचार्य राजकुमार महाराज ने किया ध्रुव और प्रह्लाद चरित्र का वर्णन

एस. शेरवानी (ब्यूरो चीफ़) –

आगरा/फतेहपुर सीकरी।
मंडी समिति (गल्ला मंडी) के सामने स्थित ओम कॉलोनी में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर व्यास पीठ से विराजमान आचार्य श्री राजकुमार जी महाराज ने श्रोताओं को ध्रुव चरित्र, जड़ भरत-रहुगण प्रसंग, और प्रह्लाद चरित्र का गूढ़ और मार्मिक वर्णन सुनाया। कथा के दौरान जैसे ही उन्होंने धर्म, भक्ति और संस्कारों का महत्व बताया, वहां उपस्थित सैकड़ों श्रोता भावविभोर हो उठे और कई की आंखों से अश्रुधारा बहने लगी।

यह आयोजन फतेहपुर सीकरी धार्मिक कार्यक्रम के रूप में चर्चा का विषय बना हुआ है, जहां प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु प्रवचन सुनने के लिए एकत्र हो रहे हैं।

ध्रुव चरित्र से जीवन में भक्ति की महत्ता का संदेश

आचार्य श्री राजकुमार जी महाराज ने ध्रुव चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि भक्ति के लिए न उम्र मायने रखती है और न ही कोई विशेष अवस्था। केवल निष्ठा, विश्वास और समर्पण से ही परमात्मा की प्राप्ति संभव है।

उन्होंने कहा –“ध्रुव मात्र 5 वर्ष की आयु में भगवान को प्राप्त कर सकते हैं, तो हम क्यों नहीं? उनके संकल्प, साधना और भक्ति से यह प्रमाणित होता है कि सच्ची लगन हो तो ईश्वर स्वयं प्रकट होते हैं।”

फतेहपुर सीकरी भागवत कथा के इस प्रसंग ने विशेष रूप से बालकों और युवाओं को गहरी प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि ध्रुव का चरित्र हमें यह सिखाता है कि धार्मिक मूल्यों और भक्ति की शुरुआत बचपन से ही होनी चाहिए।

फतेहपुर सीकरी

जड़ भरत और रहुगण संवाद – सद्गुरु के बिना नहीं होता जीवन में परिवर्तन

कथा के अगले भाग में उन्होंने जड़ भरत और राजा रहुगण के संवाद को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि जब तक जीव को जड़ भरत जैसा सद्गुरु नहीं मिलता, तब तक जीवन में बदलाव नहीं आता।

उन्होंने कहा –“जैसे खेत में वर्षा ना हो तो फसलें सूख जाती हैं, वैसे ही जीवन में संस्कार न हो तो नस्लें सूख जाती हैं।”

यह प्रसंग संस्कार और शिक्षा का महत्व उजागर करता है। आचार्य जी ने कहा कि आज की शिक्षा केवल डिग्री और नौकरी तक सीमित हो गई है, लेकिन यदि शिक्षा के साथ संस्कार नहीं दिए गए, तो वह घर और समाज दोनों के लिए नुकसानदायक सिद्ध होती है।

प्रह्लाद चरित्र से प्रेरणा – भक्ति और पितृभक्ति का आदर्श उदाहरण

आचार्य जी ने जब प्रह्लाद चरित्र का वर्णन किया, तो वातावरण पूरी तरह भावनाओं से भर गया। उन्होंने बताया कि प्रह्लाद को उनके पिता हिरण्यकश्यप ने कई कष्ट दिए, लेकिन फिर भी प्रह्लाद ने अपने पिता के लिए भगवान से सद्गति की प्रार्थना की।

उन्होंने कहा –“पुत्र वही जो पिता को नर्क से मोक्ष दिलाए। प्रह्लाद ने यही किया।”

इस दौरान उन्होंने भजन प्रस्तुत किया “माँ-बाप से बढ़कर जग में कोई दूजा नहीं ठिकाना।”

प्रह्लाद चरित्र पर आधारित इस प्रवचन ने उपस्थित जनसमूह को भीतर तक झकझोर दिया। श्रद्धालु अपने आंसू रोक नहीं सके।

फतेहपुर सीकरी

संस्कारों के बिना नहीं बनता चरित्रवान समाज

कथा के दौरान आचार्य राजकुमार जी महाराज ने यह भी कहा कि संस्कारों के बिना शिक्षा अधूरी है। यदि हम अपने बच्चों को शिक्षा के साथ धार्मिक और नैतिक मूल्य नहीं देंगे, तो वे कभी भी सच्चे नागरिक या भक्ति मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति नहीं बन सकते।

उन्होंने रामायण की पंक्ति दोहराई –“कर से कर्म करो विध नाना, मन राखेउ जहाँ कृपा निधाना।”

इसका अर्थ है कि कर्म करने के साथ-साथ मन में श्रद्धा और भगवान की कृपा की भावना भी रखनी चाहिए।

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फतेहपुर सीकरी भागवत कथा में उमड़ रही भीड़

ओम कॉलोनी श्रीमद् भागवत कथा में प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं। आयोजकों ने बताया कि कथा का आयोजन 7 दिवसीय है और प्रतिदिन दोपहर 1 बजे से शाम 5 बजे तक चल रहा है।

इस कथा का आयोजन सामूहिक ग्रामवासी सेवा समिति द्वारा कराया जा रहा है, जिसका उद्देश्य धार्मिक चेतना जागृत करना और ग्रामीणों में नैतिकता का संचार करना है। कथा के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम, भजन संध्या और प्रसाद वितरण की भी व्यवस्था की गई है।

श्रद्धालुओं की प्रतिक्रिया – “कथा ने मन को छू लिया”

कथा में उपस्थित श्रद्धालुओं में से गंगा देवी, राकेश शर्मा, शोभा रानी और कमल किशोर आदि ने बताया कि उन्होंने ऐसी भावनात्मक कथा पहले कभी नहीं सुनी। ध्रुव और प्रह्लाद के प्रसंगों ने उन्हें न केवल रुला दिया, बल्कि उनके जीवन को एक नई दिशा भी दी।

श्रद्धालुओं का कहना है कि राजकुमार जी महाराज के प्रवचन सहज, सरल और गूढ़ ज्ञान से भरपूर होते हैं, जो सीधा मन को छूते हैं।

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