AGRA- प्रयोगशाला बने परिषदीय विद्यालय : यूटा आगरा ने दिया खेरागढ़ विधायक को ज्ञापन
शिक्षकों के सम्मान के साथ समझौता नहीं

🔸गांव से स्कूल छीनने का अर्थ है, गांव की आत्मा छीन लेना : यूटा आगरा
🌍एस. शेरवानी (ब्यूरो चीफ़) –
आगरा। यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन यूटा आगरा के जिला अध्यक्ष के के शर्मा एवं जिला महामंत्री राजीव वर्मा के नेतृत्व में खेरागढ़ विधानसभा के विधायक भगवान सिंह कुशवाहा के निवास पर परिषदीय विद्यालयों के मर्जर एवं सरप्लस शिक्षकों के नाम पर शिक्षकों के उत्पीड़न किए जाने के संदर्भ में ज्ञापन दिया।
यूटा आगरा के जिला अध्यक्ष के के शर्मा एवं जिला महामंत्री राजीव वर्मा ने बताया कि गांव से स्कूल छीनने का अर्थ है, गांव की आत्मा छीन लेना।
यह विद्यालय ही होता है जिससे अभिभावकों को यह भरोसा होता है कि उनके बच्चे सुरक्षित हैं। खेतों में काम करते मां-बाप को यह तसल्ली होती है कि स्कूल में उनका बच्चा न केवल पढ़ रहा है, बल्कि अच्छा वातावरण पा रहा है। गांव के स्कूल से ही निकलती है वह प्रभात फेरी जो स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर देशभक्ति का भाव गांव-गांव में बोती है। यहीं से निकलते हैं वे नारे जो स्वच्छता, स्वास्थ्य, समानता और शिक्षा का अलख जगाते हैं।
और अब, केवल नामांकन कम होने के आधार पर इन विद्यालयों को बंद करने या दूसरे विद्यालयों से मर्ज कर देने का प्रस्ताव आ रहा है? यह मर्जर नहीं, गांव की आत्मा का विसर्जन है। कम नामांकन कभी भी स्कूल की उपयोगिता का मापदंड नहीं हो सकता। गांव में अगर दस बच्चे भी हैं, तो उनके लिए वही स्कूल जीवनरेखा है। अगर हम इसे छीन लेते हैं, तो हम केवल एक भवन नहीं हटाते, हम उस गांव से वह पहचान छीन लेते हैं जो उसे जीवंत बनाती थी।
शिक्षा नीति का उद्देश्य स्कूलों को सजाना या गिनती में समेटना नहीं है, बल्कि हर गांव, हर बच्चे तक शिक्षा का अधिकार पहुंचाना है, वह भी सम्मान और आत्मविश्वास के साथ। यदि किसी स्कूल में कम नामांकन है तो हमें वहाँ संसाधन और शिक्षक भेजने चाहिए, ना कि विद्यालय हटाने चाहिए। पेयरिंग या मर्जर का तात्कालिक लाभ दिख सकता है, पर दीर्घकालिक नुकसान बहुत बड़ा है; यह सामाजिक अलगाव, शैक्षिक असमानता और बालिकाओं की शिक्षा में गिरावट लाएगा।
हम यह नहीं कह रहे कि सुधार न हों, हम यह कह रहे हैं कि सुधार वहाँ हों जहां ज़रूरत है। विद्यालयों को बंद करके नहीं, उन्हें मजबूत करके बदलाव लाना होगा। अगर गांवों से स्कूल छीन लिए गए, तो आने वाले वर्षों में गांव केवल नक्शों में रह जाएंगे, जीवन से कटे हुए, आत्मा से विहीन।
गांव का स्कूल केवल एक संस्था नहीं, एक प्रतीक है- उम्मीद का, उजाले का, बदलाव का। इस प्रतीक को बचाना हमारा सामाजिक कर्तव्य है। वरना जिस दिन गांव का स्कूल बंद होगा, उस दिन सिर्फ दरवाज़ा नहीं बंद होगा, उस गांव के भविष्य की खिड़की भी बंद हो जाएगी।
खेरागढ़ विधायक भगवान सिंह कुशवाहा ने शिक्षकों की मांग को गंभीरता से सुना समझा और सरकार तक पहुंचा कर निराकरण करने का वादा किया।
ज्ञापन देने वालों में यूटा प्रदेश संगठन मंत्री यादवेंद्र शर्मा, कोषाध्यक्ष अशोक जादौन, आनंद प्रकाश शर्मा, चारु मित्रा, विजय कुमार, शिव सिंह, अशोक शर्मा, निधि वर्मा, हरेंद्र सिंह राणा, सौरभ शर्मा, प्रशांत शर्मा, अजब किशोर, संजीव शर्मा, सुशील जायसवाल, निरंजन शर्मा, सुशील शर्मा, देवेश तिवारी, अंजू शर्मा, देश बहादुर, यशपाल सिंह, मनजीत सिंह, पोहप सिंह, रामवीर सिंह, तरुण चाहर, गीता, अवधेश भारद्वाज, विशाल कुलश्रेष्ठ, माइटी एबरोल, रमाकांत, मुकुल गुजराल, चैताली शर्मा, अनुपमा गौड़, अन्नपूर्णा, कीर्ति कीर्ति सिन्हा, रेखा वर्मा, दीपमाला, सुशील जायसवाल सहित सभी ब्लॉकों के पदाधिकारी उपस्थित रहे।
यूटा आगरा परिषदीय विद्यालयों को मर्ज किए जाने के विरोध में प्रतिदिन जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन देगा और उत्तर प्रदेश सरकार तक अपनी आवाज को पहुंचाएगा।