334 राजनीतिक दल लिस्ट से बाहर, 115 यूपी के शामिल

334 गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग ने सूची से हटाया, 115 यूपी से
रिपोर्ट: एस. शेरवानी (ब्यूरो चीफ़)-
तारीख: 10 अगस्त 2025 | स्थान: आगरा
चुनावी व्यवस्था को पारदर्शी और विश्वसनीय बनाने की दिशा में एक बड़ी कार्रवाई करते हुए भारत निर्वाचन आयोग ने 334 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPP) को अपनी सूची से हटा दिया है।
इनमें से 115 राजनीतिक दल उत्तर प्रदेश के हैं, जो या तो लगातार 6 वर्षों से किसी भी विधानसभा या लोकसभा चुनाव में नहीं उतरे, या फिर अपने पंजीकृत पते पर अस्तित्व में नहीं पाए गए।
कार्रवाई का पैमाना
इस निर्णय के बाद देश में कुल 2,854 में से 2,520 RUPP शेष रह गए हैं।
वर्तमान में, भारत में 6 राष्ट्रीय दल और 67 क्षेत्रीय दल पंजीकृत हैं।
चुनाव आयोग की इस कार्रवाई का आधार राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों की विस्तृत सत्यापन रिपोर्ट रही।
जून 2025 में आयोग ने 345 RUPP के सत्यापन के निर्देश जारी किए थे, जिनमें से 334 दल नियमों का उल्लंघन करते पाए गए।
क्या कहते हैं नियम?
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुसार:
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कोई भी पंजीकृत राजनीतिक दल यदि लगातार 6 वर्षों तक किसी विधानसभा या लोकसभा चुनाव में भाग नहीं लेता, तो उसे सूची से हटाया जा सकता है।
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पंजीकरण के समय दलों को अपने नाम, पते और पदाधिकारियों का पूरा विवरण देना होता है।
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किसी भी प्रकार के बदलाव की सूचना आयोग को तुरंत देनी अनिवार्य है।
कानूनी और वित्तीय असर
इन 334 दलों को अब आरपी अधिनियम, 1951 की धारा 29 बी और 29 सी के तहत मिलने वाले किसी भी लाभ का अधिकार नहीं होगा।
इसमें शामिल हैं:
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आयकर अधिनियम, 1961 के तहत मिलने वाली कर छूट
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चुनाव चिह्न (आरक्षण एवं आवंटन) आदेश, 1968 के तहत मिलने वाली सुविधाएं
दूसरे शब्दों में, ये दल अब चुनाव में भाग लेने के लिए किसी भी प्रकार के विशेषाधिकार का लाभ नहीं उठा पाएंगे।
यूपी के 115 दलों पर गिरी गाज
उत्तर प्रदेश में पंजीकृत 115 दलों को भी इसी कारण से सूची से बाहर कर दिया गया है।
इनमें भारत कल्याण पार्टी, ब्रज विकास पार्टी, और लोकतांत्रिक युवा शक्ति पार्टी जैसे दल शामिल हैं।
इन दलों ने न तो पिछले 6 वर्षों में कोई चुनाव लड़ा और न ही वे अपने पंजीकृत पते पर मौजूद पाए गए।
आयोग का उद्देश्य
चुनाव आयोग का मानना है कि यह कार्रवाई देश में स्वच्छ, पारदर्शी और जिम्मेदार राजनीतिक वातावरण बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इससे:
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फर्जी और निष्क्रिय दलों की पहचान आसान होगी।
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चुनावी प्रक्रिया पर जनता का विश्वास बढ़ेगा।
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राजनीतिक दलों में उत्तरदायित्व और पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।
आयोग का बयान
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा:
“हमारा उद्देश्य किसी को राजनीतिक प्रक्रिया से बाहर करना नहीं, बल्कि इसे पारदर्शी और जवाबदेह बनाना है। सक्रिय दलों को कोई खतरा नहीं है, लेकिन निष्क्रिय और नियम उल्लंघन करने वाले दलों पर सख्त कार्रवाई जारी रहेगी।”
अपील का अधिकार
यदि कोई दल इस निर्णय से असंतुष्ट है, तो वह आदेश की तारीख से 30 दिनों के भीतर चुनाव आयोग के पास अपील कर सकता है।
हालांकि, अपील के दौरान दल को यह साबित करना होगा कि वह वास्तव में सक्रिय है और नियमों का पालन करता है।
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पारदर्शिता के लिए यह कदम क्यों जरूरी?
1. फर्जी राजनीतिक दलों पर लगाम
कई दल सिर्फ पंजीकरण करवाकर मौजूद रहते हैं, लेकिन सक्रिय राजनीति में भाग नहीं लेते।
ऐसे दल कई बार काले धन के लेन-देन और कर छूट के दुरुपयोग में भी पाए गए हैं।
2. वोटर का भरोसा बनाए रखना
जब मतदाता देखते हैं कि चुनाव आयोग निष्क्रिय दलों पर कार्रवाई कर रहा है, तो उनके मन में चुनावी प्रक्रिया की ईमानदारी को लेकर भरोसा बढ़ता है।
3. डेटा बेस को अपडेट रखना
देश में पंजीकृत दलों की सही और अद्यतन सूची बनाए रखना जरूरी है, ताकि किसी भी तरह की गलत जानकारी या भ्रम से बचा जा सके।
आगरा का संदर्भ
आगरा में भी कई ऐसे दल थे जो इस कार्रवाई की जद में आए।
भारत कल्याण पार्टी, ब्रज विकास पार्टी और लोकतांत्रिक युवा शक्ति पार्टी अब पंजीकृत दलों की सूची में नहीं हैं।
इन दलों का सक्रिय न रहना और पते पर मौजूद न होना, उन्हें सूची से बाहर किए जाने का मुख्य कारण रहा।
देश में राजनीतिक दलों की वर्तमान स्थिति
श्रेणी | संख्या |
---|---|
राष्ट्रीय दल | 6 |
क्षेत्रीय दल | 67 |
पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दल (कार्रवाई के बाद) | 2,520 |
हटाए गए दल (ताज़ा कार्रवाई) | 334 |
हटाए गए दलों में यूपी के दल | 115 |
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